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India News (इंडिया न्यूज़) Make In India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में मेक इन इंडिया की शुरुआत की तब उसके बारे में कई तरह के प्रश्न और आशंकाएं जताई जा रही थीं। देश में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिए नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर 2014 को मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इसके तहत घरेलू और विदेश दोनों तरह के निवेशकों को अनुकूल माहौल देने की योजना तैयार की गई। अब सरकार ने मेक इन इंडिया को बढावा देने के लिए लैपटॉप और कंप्यूटर के आयात पर बैन की घोषणा की है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन के जरिए कहा है कि अब इन सामान के आयात के लिए वैलिड लाइसेंस लेना जरूरी होगा। सरकार का यह फैसला 1 नवंबर 2023 से लागू हो जाएगा।
भारत के इस कदम से चीन को बहुत बड़ा झटका लगा है, क्योंकि वहां का इलेक्ट्रॉनिक मार्केट बहुत बड़ा है और लैपटॉप-कंप्यूटर बेचने वाली लगभग सभी कंपनियां चीन जैसे देशों से भारत को सप्लाई करती हैं। आंकड़ा कहता है कि भारत में इस्तेमाल होने वाले लैपटॉप और कंप्यूटर का 30 फीसदी ही भारत में असेंबल होता है, बाकी सारा चीन से आता है। जाहिर है चीन को सरकार के फैसले से बहुत परेशानी होगी। मगर इसका कारण ये है कि सैमसंग, डेल, एसर और ऐपल जैसी कंपनियां चीन जैसे देशों से लैपटॉप, टैबलेट और सर्वर की सप्लाई भारत में करती हैं। जबकि भारत सरकार देश में भी लैपटॉप, कंप्यूटर और सर्वर की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की कोशिश में है। जबतक ये पाबंदी नहीं लगाई जाती तबतक इस तरफ तरक्की की संभावना कम दिखेगी।
मोदी सरकार की मेक इन इंडिया से मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में थोड़ी बेहतरी तो आई है लेकिन उतनी नहीं जितनी उम्मीद की जा रही थी। ऐसा लग रहा है कि इसका अंदाजा सरकार को भी है और वह अलग अलग सेक्टर में देश में सामान बनाने का महौल तैयार करने के लिए कुछ और जरुरी फैसले ले सकती है।
मोदी के मेक इन इंडिया के तहत किए गए प्रयासों और घरेलू सामान के इस्तेमाल को बढावा देने को रुस के राष्ट्रपति पुतिन ने सराहा है। उनके बयान के चलते भारत का मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट अचानक फिर से सुर्खियों में आ गया है।
पुतिन रुस के समुद्री शहर व्लादिवोस्तोक में 8वें ईस्टर्न इकॉनोमिक फोरम में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। इसी दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि ‘‘वे भारत में बने वाहनों के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बढ़ावा देने में सही काम कर रहे हैं, वह सही हैं।
पुतिन ने आगे कहा कि हमें हमें अपने सहयोगी देश भारत को फॉलो करना चाहिए और देश में बनी गाड़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए। पत्रकारों से बातचीत में पुतिन ने रुस की स्थिति का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “आप जानते हैं, हमारे पास कभी अपने यहां की बनीं कारें नहीं थी, मगर अब हैं। यह सच है कि वे मर्सिडीज या ऑडी कारों की तुलना में मामूली दिखती हैं, जिन्हें हमने काफी रकम देकर 1990 के दशक में खरीदा था। लेकिन मुद्दा यह नहीं है, मुझे लगता है कि हम अपने कई भागीदारों का अनुकरण कर सकते हैं भारत इसका एक उदाहरण है। हमें यह तय करना चाहिए कि किस वर्ग के अधिकारी कौन सी कारें चला सकते हैं, इससे वे घरेलू कारों का इस्तेमाल करेंगे।
पुतिन के इस बयान ने भारत सरकार को मेक इन इंडिया को और रफ्तार देने के लिए थोड़ा बहुत प्रोत्साहित तो किया ही होगा। वैसे पुतिन के इस बयान के निहितार्थ भी हैं। यूक्रेन युद्द के चलते रुस पर कई तरह की पाबंदियां हैं औऱ उसके सामने आज की तारीख में आत्मनिर्भर होने की चुनौती है। पुतिन को शायद यह लग रहा है कि नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का अभियान खुद उनके लिए भी एक संदेश है।
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