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India News (इंडिया न्यूज़), Deepak Vishwakarma, Chhattisgarh News: नारी शक्ति को शक्ति देने की क़वायद मूर्त रूप लेने लगी है जिसकी चर्चा देश के साथ साथ दुनिया में शुरू हो गई है, क्योंकि अब “नारी शक्ति के सम्मान में नारी शक्ति वंदन अधिनियम” की घोषणा कर बिल प्रस्तावित किया है जिसकी चर्चा जारी है, जहां विपक्ष ने इसे चुनावी शिगूफ़ा बताया वहीं मोदी सरकार इसे देश की नारी का सच्चे अर्थ में सम्मान बता रही है, छत्तीसगढ़ के लिहाज़ से समझे तो पूरे देश के मुक़ाबले छत्तीसगढ़ विधानसभा में महिलाओं की भागीदारी क़रीब 17 फ़ीसदी है, जो की पूरे देश में सबसे ज़्यादा है।
यदि ये मसौदा पास हो जाता है तो छत्तीसगढ़ की 90 सीटो वाली विधानसभा में तक़रीबन 30 महिलाओं की भागीदारी दिखेंगी। मौजूदा दौर में देश में केवल पंचायत और नगरीय निकायों के चुनावों में महिलाओं को आरक्षण मिल रहा है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित नहीं किए जाते। नया विधेयक लागू होने के साथ ही महिलाओं को राज्य के साथ ही आम चुनाव में भी आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा।
90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ की मौजूदा विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 16 है। इनमें तीन उप चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची हैं। बाकी सभी महिला विधायक 2018 में हुए चुनाव के दौरान सदन में पहुंची थीं। 2018 में चुनाव जीतने वाली 13 महिला विधायकों में केवल 2 को छोड़कर बाकी सभी पहली बार चुनाव जीती हैं। जिनमें नाम वार चर्चा की जाए तो।
इंदू बंजारे: बसपा की टिकट पर पामगढ़ सीट से जीतकर विधानसभा पहुंची इंदू बंजारे पहली बार की विधायक हैं। वे जिला पंचायत सदस्य भी रहीं हैं। पामगढ़ विधानसभा अनुसूचित वर्ग के लिए रिजर्व है।
रंजना साहू: धमतरी सीट से चुनाव जीतकर आईं रंजना साहू भाजपा की अकेली महिला विधायक हैं। रंजना साहू भी पहली बार की विधायक हैं। 2018 के चुनाव में इन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता गुरुमुख सिंह होरा को हराया था।
ममता चंद्राकर: कवर्धा जिले की पंडरिया विधानसभा से 2018 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुई हैं। ममता चंद्राकर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत पंचायत की राजनीति से की थी।
यशोदा वर्मा: खैरागढ़ विधानसभा सीट के लिए 2022 में कांग्रेस की टिकट पर जीतकर आई यशोदा वर्मा पहली बार की विधायक हैं। सरपंच से अपना राजनीतिक जीवन सफर शुरू करने वाली यशोदा वर्मा जनपद व जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं।
अंबिका सिंहदेव: बैकुंठपुर से पहली बार विधायक बनी अंबिका सिंहदेव कोरिया कुमार के नाम से विख्यात अपने चाचा रामचंद्र देव की विरासत संभाल रही है।
देवती कर्मा: बस्तर टाईगर के नाम से मशहूर स्व. महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा 2013 में पहली बार दंतेवाड़ा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंची थी, लेकिन 2018 में वे इसी सीट से भाजपा के भीमा मंडावी से चुनाव हर गईं। 2009 में भीमा मंडावी के निधन के बाद हुए उप चुनाव में वे जीत गईं।
रेणु जोगी: विधानसभा में कोटा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली रेणु जोगी चौथी बार की विधायक हैं। राज्य के पहले सीएम स्व. अजीत जोगी की पत्नी हैं और राज्य की पहली महिला विधायक हैं जो एक सीट से लगातार जीत रही हैं।
उत्तरी जांगड़े: सारंगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुन कर आई, जांगड़े पहली बार की विधायक हैं। इन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पंचायत से की थी।
शकुंतला साहू: कांग्रेस की टिकट पर शकुंतला साहू ने कसडोल सीट से भाजपा नेता और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को हरा कर विधानसभा पहुंची हैं। साहू भी पहली बार की विधायक हैं। मौजूदा सरकार में वे संसदीय सचिव हैं।
सावित्री मंडावी: छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष स्व. मनोज मंडावी की धर्म पत्नी भानुप्रातापुर सीट से पहली बार की विधायक हैं। मनोज मंडावी के निधन की वजह से हुए उपचुनाव में जीतकर सावित्री विधानसभा पहुंची हैं।
डॉ. रश्मि सिंह: तखतपुर सीट से पहली बार विधायक चुनी गई डॉ. रश्मि सिंह को राजनीति विरासत में मिली हैं। इनके पिता रोहिणी कुमार वाजपेयी अविभाजित मध्य प्रदेश में तखतपुर सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। डॉ. रश्मि सिंह के ससुर बलराम सिंह भी इसी सीट से विधायक रह चुके हैं।
अनिता शर्मा: धरसींवा विधानसभा सीट से भाजपा के दिग्गज नेता देवजी भाई पटेल को हरा कर विधानसभा पहुंची अनिता शर्मा भी पहली बार की विधायक हैं। 2013 में भी इन्होंने धरसींवा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हर गई थीं। अनिता के पति योगेंद्र शर्मा की झीरमघाटी में हुए नक्सली हमलें में मौत हो गई थी।
छन्नी साहू: छन्नी साहू राजनांदगांव जिले की खुज्जी विधानसभा सीट से 2018 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुई हैं। कांग्रेस की टिकट पर चुनकर आई छन्नी साहू हायर सेकेंडरी तक पढ़ी हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत में जिला पंचायत सदस्य व जिला पंचायत में महिला, बाल विकास विभाग की सभापति रही थी।
डॉ. लक्ष्मी ध्रुव: अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सिहावा सीट से कांग्रेस की टिकट पर 2018 में पहली बार जीती डॉ. लक्ष्मी ध्रुव ने राजनीति शास्त्र में पीएचडी किया है। 29 वर्ष तक प्राध्यापक रहीं।
संगीता सिन्हा: संजारी बालोद सीट से कांग्रेस की टिकट पर 2018 में चुनाव जीकर विधानसभा पहुंची संगीता सिन्हा पहली बार की विधायक हैं। संजारी बलोद अनारक्षित सीट है।
अनिला भेंडि़या: अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीट डौंडी लोहरा से दूसरी बार चुनकर आईं अनिला भेंडि़या राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं। अनिला भेंडि़या ने 2013 में पहली बार चुनाव जीता था।
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