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India News (इंडिया न्यूज़), Canada: कनाडा मामले पर करीब से नजर रखने वाले एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि, “कनाडा में भारतीय मिशनों और राजनयिकों की भौतिक सुरक्षा के लिए खालिस्तानियों द्वारा खुली धमकियां एक बहुत ही गंभीर घटना है और वियना कन्वेंशन के तहत कनाडा के दायित्व को चुनौती देती है।”
मामले को लेकर अधिकारीयों ने कहा कि, “पंजाब में छोटे-छोटे मुद्दों पर भी कनाडा की आवाजें बहुत मजबूत है, जबकि कनाडा में बैठे पीकेई द्वारा धमकी, हिंसा, मादक पदार्थों की तस्करी और जबरन वसूली पर पूरी तरह से चुप्पी बनी हुई है, जिससे दोनों देश प्रभावित हो रहे है।” बता दें कि जिन मुद्दों पर चर्चा की गई उनमें खालिस्तानियों की नरम पैरवी भी शामिल थी, जिसने यह सुनिश्चित किया कि उदारवादी और भारत समर्थक सिखों को पीकेई की बाहुबल और धन शक्ति द्वारा कनाडा के सभी बड़े गुरुद्वारों से बाहर निकाल दिया गया।
एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है, “पिछले कुछ वर्षों में, खालिस्तानी चरमपंथियों का हौसला और बढ़ गया और उन्होंने कनाडा से बेखौफ होकर काम करना शुरू कर दिया। पिछले दशक में, पंजाब से सामने आए आधे से ज्यादा आतंकी मामलों में कनाडा स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों के संबंध सामने आए हैं।” जिसमे कहा गया कि,”कनाडा में भी, कई खालिस्तानीयों के द्वारा नशीली दवाओं के व्यापार का हिस्सा है। वहीं पंजाब के गैंगस्टरों के बीच अंतर-गिरोह प्रतिद्वंद्विता अब कनाडा में आम है। यह याद किया जा सकता है कि भारत समर्थक के सिख नेता रिपुदमन सिंह मलिक की 2022 में सरे में ही हत्या कर दी गई थी।” एक हत्या जिसके बारे में कई लोग कहते हैं कि यह हरदीप सिंह निज्जर द्वारा रची गई थी।”
साथ ही कहा गया है कि, कनाडाई एजेंसियों ने इसके पीछे के वास्तविक लोगों को खोजने और वास्तविक साजिश को उजागर करने में कोई तत्परता नहीं दिखाई गई। दो स्थानीय अपराधियों को, जो भारतीय मूल के नहीं थे, केवल इस मामले में आरोपित किया गया था।”
एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2016 के बाद पंजाब में सिख, हिंदुओं और ईसाइयों की लक्षित हत्याएं निज्जर और उसके सहयोगियों की करतूत थीं, लेकिन कनाडाई एजेंसियों ने निज्जर और उनके दोस्तों भगत सिंह बराड़, पैरी दुलाई, अर्श दल्ला, लकबीर के खिलाफ कभी भी कोई जांच शुरू नहीं की।
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