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India News (इंडिया न्यूज), Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद इसको लेकर उत्तर प्रदेश में भी इसको लेकर सुगबुगाहट होने लगी है, खासतौर पर जिस तरह से इंडिया गठबंधन के दल इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे है उससे जाहिर है कि 2024 के लोकसभा चुनाव का सियासी गणित इसी मुद्दे के आसपास घूमेगी। एक तरफ जहां विपक्ष जातीय जनगणना को लेकर सरकार को घेर रहा है वहीं एनडीए के घटक दल अपना दल (एस) और सुभासपा ने भी जातीय जनगणना कराने की मांग उठाकर भाजपा पर दबाव और ज्यादा बढ़ा दिया है, निषाद पार्टी ने जातीय जनगणना की रिपोर्ट को जनता को बर्गलाने का प्रयास बताया है।
सुहेलदेव राजभर जब बीजेपी के साथ नही थे तब उन्होंने जातिगत जनगणना को लेकरबेक रथयात्र शुरू की थी, ये रथयात्रा उत्तर प्रदेश के कई जिलों से होती हुई बिहार की राजधानी पटना तक पहुंची थी। इस यात्रा के दौरान और उसके बाद भी राजभर लगातार मंचो से जातिवार जनगणना की मांग करते रहे, अब वो बीजेपी के साथ एनडीए में सहयोगी हैं, लेकिन बिहार में जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद अब उनकी पार्टी ने जातिगत जनगणना को सही ठहराया है। सुभासपा के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता अरुण राजभर का कहना है कि उनकी पार्टी का गठन ही इस मुद्दे की लड़ाई को लेकर हुआ है, पार्टी विधानसभा में इस मुद्दे को कई बार उठा चुकी है। हर वर्ग के हिस्सेदारी की लड़ाई सत्ता के भीतर और बाहर रहकर भी लड़ती रही है।
वहीं उत्तर प्रदेश और केंद्र की बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार में सहयोगी अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने भी जातीय जनगणना के पक्ष में अपनी बात रखी है। अनुप्रिया पटेल ने मीडिया से बात करए हुए कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से जातीय जनगणना कराने के पक्ष में रही है और सदन से लेकर सड़क तक इस मुद्दे को उठाती रही है, रायबरेली में सोमवार को एक कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान उन्होंने जातीय जनगणना को समय की मांग बताया। हालांकि भाजपा के एक अन्य सहयोगी दल ने जरूर बिहार की जातीय जनगणना को भ्रमक बता कर अपने सहयोगी दल को राहत पहुंचाई हैं।
बात अगर विपक्षी खेमे की करें तो इस मुद्दे को लेकर सबसे ज्यादा उत्साहित समाजवादी पार्टी है, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर लिखा कि बिहार जाति आधारित जनगणना प्रकाशित, ये है सामाजिक न्याय का गणतीय आधार, जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी। उन्होंने कहा, जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं, भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए, अखिलेश के अलावा कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने भी सीएम योगी को पत्र लिखकर जातिगत जनगणना कराने की मांग की है। बता दे कि समाजवादी पार्टी लगातार जातिगत जनगणना की मांग करती रही है।
सपा के साथ साथ उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल और अपना दल (कमेरावादी) ने भी यूपी में जातिगत जनगणना की मांग की है, राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा, विभिन्न सरकारी योजनाओं में विभिन्न जातियों की सही हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए यूपी में भी जाति जनगणना जरूरी है। हम यूपी सरकार से तुरंत जाति जनगणना का आदेश देने की मांग करते हैं, बिहार की जातीय जनगणना की रिपोर्ट ने एक बार फिर प्रदेश के सियासी गलियारे की तपिश को बढ़ा दिया है, इस मुद्दे पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की। मायावती ने सोशल मीडिया पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि बिहार सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना के आँकड़े सार्वजनिक होने की खबरें आज काफी सुर्खियों में है तथा उस पर गहन चर्चाएं जारी है। कुछ पार्टियाँ इससे असहज ज़रूर हैं किन्तु बीएसपी के लिए ओबीसी के संवैधानिक हक के लम्बे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी है।
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