संबंधित खबरें
Jharkhand Assembly Election Result: सोरेन परिवार, बाबूलाल मरांडी से लेकर चम्पई सोरेन और सुदेश महतो तक, झारखंड के इन दिग्गजों के किस्मत का आज होगा फैसला
Maharashtra-Jharkhand Election Result Live: झारखंड-महाराष्ट्र में किसको मिलेगी सत्ता की चाभी, जनता ने किसको किया है बेदखल? आज हो जाएगा तय
सेब, जूस में मिलावट के बाद अब…केरल से सामने आया दिलदहला देने वाला वीडियो, देखकर खौल जाएगा आपका खून
BJP ने शुरू की दिल्ली विधानसभा की तैयारी… पूर्व APP नेता ने की जेपी नड्डा से मुलाकात, बताई पार्टी छोड़ने की बड़ी वजह
मणिपुर में जल्द होगी शांति! राज्य में हिंसा को लेकर केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला, उपद्रवियों के बुरे दिन शुरू
नतीजों से पहले ही हो गई होटलों की बुकिंग? झारखंड और महाराष्ट्र में कांग्रेस ने विधायकों को दिया सीक्रेट इशारा
India News (इंडिया न्यूज़), Mysuru Dasara, दिल्ली: आज यानी कि 24 अक्टूबर को देशभर में सभी लोग दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाने वाले है। लेकिन पूरे देश से अलग मैसूर में दशहरा की अलग सी ही रौनक देखने को मिलती है। मैसूर में दशहरा का पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनया जाता है। जिस वजह से मैसूर का दशहरा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसकी खासियत के बारें में बताए तो दशहरा या विजयादशमी के पर्व पर मैसूर का राज दरबार आम लोगों के लिए खोल दिया जाता है और फिर भव्य जुलूस निकलता है।
इसके साथ ही खास बात बताए तो मैसूर के दशहरे में ना तो राम होते हैं और ना ही रावण का पुतला जलाया जाता है। यहां पर्व मां भगवती के राक्षस महिषासुर का वध करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसके साथ ही यहां दशहरा का आयोजन नवरात्रि के पहले दिन से ही शुरू हो जाता है। जिसमें आने वाले 10 दिनों तक मैसूर में दशहरा कि धूम देखने को मिलती है।
पूजा कि तैयारियों के बारें में बताए तो कर्नाटक के शहर मैसूर में दशहरे का आयोजन दस दिन तक होता है और इस त्योहार में लाखों की तादात में पर्यटक शामिल होते हैं। वहीं यहां के दशहरा को स्थानीय भाषा में दसरा या नबाबबा कहते हैं। साथ ही उत्सव की शुरुआत के बारें में बात करें तो इसकी शुरुआत देवी चामुंडेश्वरी मंदिर में पूजा अर्चना के साथ शुरू होती है। चामुंडेश्वरी देवी की पहली पूजा शाही परिवार करता है। जिसके बाद पर्व में मैसूर का शाही वोडेयार परिवार समेत पूरा मैसूर शहर शामिल होता है।
पूजा अर्जना के साथ मैसूर पैलेस को खास लाइटिंग से तैयार किया जाता है। वहीं इस खास मौके पर कई तरह की प्रदर्शनियां निकलती हैं। इसके आलावा कई तरह के धार्मिक एव सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। मैसूर कि शान मैसूर पैलेस को एक लाख से अधिक बल्ब के साथ खूबसूरत बनाया जाता है और चामुंडेश्वरी पहाड़ियों को 1.5 लाख बल्बों के साथ रोशन किया जाता है। ऐखिर में महल के सामने मैदान में एक दसारा प्रदर्शन का भी आयोजन किया जाता है।
खास बात बताए तो इस साल मैसूर का भव्य त्योहार 408वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। वहीं मेले के इतिहास के बारें में कहा जाता है कि हरिहर और बुक्का नाम के दो भाइयों ने 14वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य में नवरात्रि का उत्सव मनाया था। इसके बाद 15वीं शताब्दी में राजा वोडेयार ने दस दिनों के मैसूर दशहरे उत्सव की शुरुआत की। कथा मिलती है कि यहां मौजूद चामुंडी पहाड़ी पर माता चामुंडा ने महिषासुर नामक राक्षस का अंत किया था और बुराई पर सत्य की जीत को बहाल किया। इसलिए मैसूर के लोग विजयादशमी या दशहरे को धूमधाम से मनाते हैं।
जैसा कि हम ने बताया कि दशहरे के दिन यहां माता चामुंडेश्वरी की पूजा अर्चना की जाती है। जिसके बाद खास तरह का जुलूस भी निकला जाता है, जो अंबा महल से शुरू होता है और मैसूर से होते हुए करीब पांच किलोमीटर दूर तक जाता है। वहीं जुलूस में तकरीबन 15 हाथियों को शामिल किया जाता है। जिनको दुल्हन कि तरह सजाया जाता है। साथ ही जुलूस में नृत्य, संगती, सजे हुए जानवर आदि झांकियां भी निकाली जाती है।
जंबू सवारी के नाम से जाना जाने वाले उत्सव को दसवें दिन मनाया जाता है। जिसके अदंर बड़े और बच्चे सभी शामिल होते है। जिसके अदंर सोने चांदी से सजे हाथियों का काफिला निकला जाता है और 21 तोपों की सलामी के बाद मैसूर राजमहल से कि तरफ बढ़ा जाता है। इस दिन सभी की निगाहें गजराज के सुनहरे हौदे पर टिकी होती हैं। इसी हौदे पर चामुंडेश्वरी देवी मैसूर नगर भ्रमण के लिए निकलती हैं और उनके साथ अन्य गजराज भी साथ चलते है। साल भर में यही एक मौका होता है, जब देवी मां 750 किलो के सोने के सिंहासन पर विराजमान होकर नगर भ्रमण करती है।
ये भी पढ़े:
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.