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India News (इंडिया न्यूज़), Kharsia Vidhan Sabha Seat: छत्तीसगढ़ राज्य में 90 विधानसभा सीटें हैं। लेकिन इन सीटों में से कुछ सीटें ऐसी है जिन्हें किसी भी पार्टी के लिए जितना काफी मुश्किल है। इन सीटों पर जिस विधायक का कब्जा है उसे हराना पहाड़ चढ़ने जैसा है। चाहे कोई कितना भी एड़ी चोटी का जोर क्यों ना लगा ले, लेकिन नतीजे नए नहीं होते। ऐसे ही एक हाई प्रोफाइल सीट है, खरसिया। इस सीट पर पहले नंदकुमार पटेल चुनाव जीतते आए हैं। लेकिन उनके निधन के बाद उनकी यह विरासत उनके बेटे उमेश पटेल ने संभाली है।
इस बार भी चुनाव में कांग्रेस ने उमेश पटेल को टिकट दी है। जब से यह सीट खरसिया अस्तित्व में आई है, तब से इस सीट से कांग्रेस जितती आई है। आज तक कांग्रेस ने इस विधानसभा में हार का सामना नहीं किया। हाल ही में बीजेपी ने इस सीट से अपनी प्रत्याशी का ऐलान किया था, और बीजेपी को उम्मीद है कि आप इस बार खरसिया का रिकॉर्ड यह पार्टी जरूर तोड़ेगी।
बीजेपी ने 21 विधानसभा के उम्मीदवारों की लिस्ट की घोषणा की है। जिसमें खरसिया से विधानसभा के महेश बाबू को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। बता दे कि पिछले 10 सालों से साहू समाज की बागडोर महेश साहू के हाथों में है। सहज और सरल स्वभाव के चलते हर विधानसभा में महेश साहू की जीत देखी गई है। ऐसा ही उम्मीद लगाई जा रही है कि छत्तीसगढ़ के खरसिया में भी महेश साहू अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ेंगे।
कहा जाता है कि महेश साहू का संबंध खरसिया के इंडस्ट्रियलिस्ट, किराना व्यापारी, किसान यहां तक की समाज के हर व्यक्ति से है। मौजूदा समय में खरसिया में कांग्रेस के कई अधिकारी पार्टी से नाराज चल रहे हैं। जिससे यह उम्मीद लगाई जा रही है कि इस बार खरसिया में महेश साहू यह बाजी मार जाएंगे।
छत्तीसगढ़ की खरसिया विधानसभा कांग्रेस के लिए लक्की सीट मानी जाती है। इस विधानसभा से अब तक की कांग्रेस की कभी हार नहीं हुई। 1988 में छत्तीसगढ़ के विधायक लक्ष्मी पटेल को इस्तीफा दिलवाया गया और उपचुनाव हुए थे। जिसने कांग्रेस में अर्जुन सिंह और बीजेपी ने दिलीप सिंह जूदेव को मैदान में उतारा था। और तब से लेकर अब तक इस सीट पर हमेशा से ही कांग्रेस राज करती आई है।
बता दे की खरसिया में कुल मतदाता 215223 है। जिसमें से पुरुषों की संख्या 107383 और महिला मतदाताओं की संख्या 107835 है। इसके अलावा अगर थर्ड जेंडर की बात करें तो थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 5 है। कहने को तो खरसिया एक सामान्य सीट है, लेकिन इस विधानसभा में पिछड़े वर्ग के वोटर का दबदबा रहता है।
अगर आंकड़ों की बात करें तो खरसिया में साहू, तेली समाज के करीबन 18 हजार वोटर है। वही पटेल और अगरिया समाज के 20 हजार वोटर हैं।आदिवासी समाज के 55 बजार वोटर और वही पिछड़े वर्ग के 70 हजार वोटर है। अगर बात सामान्य वर्ग की करें तो सामान्य वर्ग से 30 हजार मतदाता आते हैं। इस इलाके में खनिज भंडार भी है यहां के किसान धान, गेहूं, सरसों, अरहर और सब्जियां उगाते हैं।
बता दे की 2018 के विधानसभा चुनाव में शहीद स्वर्गीय नंदकुमार पटेल के निधन के बाद उनके पुत्र उमेश पटेल को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया था। वहीं भाजपा की तरफ से आप चौधरी को उम्मीदवार बनाया था। 2018 के चुनाव में आमने-सामने की टक्कर के बाद उमेश पटेल ने खरसिया विधानसभा से जीत दर्ज कराई थी। खरसिया विधानसभा में उमेश पटेल को हराने के बाद ओपी चौधरी ने एड़ी चोटी का जोर लगाया लेकिन फिर भी मतदाताओं का मन नहीं बदल सके।
खरसिया विधानसभा में मौजूदा समय में कांग्रेस के कामकाज को लेकर मिले-जुले रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं। शहरी क्षेत्र की जनता स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क पानी की सुविधा को लेकर काफी खुश है। लेकिन वहीं ग्रामीण क्षेत्र की बात करी जाए तो वहां पर सड़क, साफ पानी, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लोग आज भी परेशान है। इसके साथ ही बेरोजगारी और रेल सुविधाओं में बढ़ोतरी को लेकर कई बार आवाज उठाई जा चुकी है।
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