India News (इंडिया न्यूज), US Ambassador on Delhi Pollution: दिल्ली का वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी को लेकर भारत में संयुक्त राज्य अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी का बयान वायरल हो रहा है। एरिक गार्सेटी ने कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण लॉस एंजिल्स में बड़े होने की यादें ताजा कर देता है क्योंकि अतीत में वहां हवा बहुत प्रदूषित थी। उन्होंने कहा कि जैसे एलए में खराब गुणवत्ता के कारण बच्चों को खेलने के लिए बाहर न जाने की चेतावनी दी गई थी, वैसे ही चेतावनी आज दिल्ली में उनकी बेटी को स्कूल जाते समय भी दी गई।
गार्सेटी ने कहा कि “दिल्ली में इस तरह के दिन, लॉस एंजिल्स में बड़े होने की यादें ताजा हो जाती हैं, जहां की हवा अमेरिका में सबसे प्रदूषित हवा थी। जहां आज की तरह, हमें हमारे शिक्षकों द्वारा चेतावनी दी गई थी कि आप खेलने के लिए बाहर नहीं जा सकते, जैसे आज मेरी बेटी को उसके शिक्षक ने स्कूल छोड़ते समय दिया था।
जैसे-जैसे सर्दियां करीब आ रही है राष्ट्रीय राजधानी वायु प्रदूषण से जूझ रही है। इसी वजह से गार्सेटी ने वायु प्रदूषण को लेकर टिप्पणी की। गुरुवार को नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता लगातार पांचवें दिन ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी रही। SAFAR-India के अनुसार, आज सुबह शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)343 था। जो कि बहोत खराब माना जाता है।
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR)-इंडिया द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में AQI सोमवार को 322 और मंगलवार को 327 दर्ज किया गया था। एनसीआर में, नोएडा में समग्र वायु गुणवत्ता भी आज 397 के एक्यूआई के साथ बहुत खराब श्रेणी में दर्ज की गई। इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी के सुबह की सैर करने वालों ने कहा कि सांस लेना उतना आसान नहीं है जितना गर्मियों के महीनों में हुआ करता था।
एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI, सरकारी एजेंसियों के जरिए बनाया गया वो पैमाना है, जिससे हवा की गुणवत्ता को मापा जाता है. एक्यूआई के जरिए ये मालूम चलता है कि वर्तमान में हवा कितनी खराब है और इसके कितने बिगड़ने की गुंजाइश है। एक्यूआई इंडेक्स 0 से लेकर 301 और उससे ज्यादा तक होता है। अगर एक्यूआई 0 से 50 के बीच है, तो इसका मतलब है कि लोग सबसे बेहतरीन हवा में सांस ले रहे हैं। ये अच्छा एक्यूआई होता है।
एक्यूआई को कैलकुलेट करने के लिए हवा में मौजूद आठ पॉल्यूटैंट्स को ध्यान में रखा जाता है। ये पॉल्यूटैंट्स PM10, PM2.5, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, ग्राउंड लेवल ओजोन, अमोनिया और लेड है। किसी खास लोकेशन पर मौसम विभाग 24 घंटे तक हवा में इन आठ में से कम से कम तीन की मौजूदगी के आधार पर डेटा इकट्ठा करता है. लेकिन तीन में से एक PM10 या PM2.5 जरूर होना चाहिए।
PM का मतलब पार्टिकुलैट मैटर या कण प्रदूषण से है, जो वायुमंडल में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है। ये इतने छोटे होते हैं कि इन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है. इन्हें देखने के लिए इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ती है। PM2.5 और PM10 दो तरह के कण प्रदूषण हैं। PM2.5 वायुमंडलीय कण प्रदूषण को बताता है। धूल के इस कण का डायामीटर 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है।
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