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Badnawar Vidhan Sabha Seat: राजपूतों का गढ़ है यह विधानसभा सीट, दिलचस्प होगा चुनावी मुकाबला

Divyanshi Singh • LAST UPDATED : November 8, 2023, 5:18 pm IST
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Badnawar Vidhan Sabha Seat: राजपूतों का गढ़ है यह विधानसभा सीट, दिलचस्प होगा चुनावी मुकाबला

Badnawar Vidhansabha Seat

India News (इंडिया न्यूज), Badnawar Vidhan Sabha Seat,MP Assembly Election 2023: साल के अंत में होने वाली MP Assembly Election 2023 को लेकर तैयारी तेज हो गई है। 230 सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने मतदान और मतदानों की गिनती की तारीख भी तय कर दी है। विधानसभा चुनाव में धार (Dhar) जिले की बदनावर (Badnawar) विधानसभा सीट के लिए भी वोट पड़ेंगे। बदनावर (Badnawar) पाटीदार और राजपूत किसानों के बाहुल्य वाला संपन्न इलाका है।

बदनावर में चुनावी मुकाबला दिलचस्प

इस बार बदनावर में विधानसभा सीट पर चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। जहां पर दो बड़ी पार्टीयों से दो बड़े नेता आमने-सामने होंगे। लेकिन इस बार उनकी पार्टियां बदली हुई हैं। यही वजह है कि इस सीट पर रोचक जुमला ‘‘उम्मीदवार वही, पर पार्टी नयी’सुनाई पड़ रहा है।

इन नेताओं के बीच मुकाबला

धार जिले की बदनावर विधानसभा सीट पर मुख्य चुनावी भिड़ंत राज्य की बीजेपी सरकार के औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव (51) और कांग्रेस नेता भंवर सिंह शेखावत (72) के बीच है।

राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं दोनों नेता

बता दें दोनों नेता राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और वे लगातार तीसरी बार इस सीट पर आमने-सामने हैं। दत्तीगांव कांग्रेस के उन 22 बागी विधायकों में शामिल थे जो वर्ष 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में विधानसभा से त्यागपत्र देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे।

बदनावर विधानसभा सीट का इतिहास देखा जाए तो कुछ अपवाद छोड़कर यहां हमेशा सत्ता के विपरित निर्णय लेने की परम्परा रही है। सन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति लहर जैसे माहौल में जब कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में ज़र्बदस्त बहुमत प्राप्त हासिल किया था।

लेकिन बदनावर में कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव हार गए थे। यहां से भाजपा के रमेश चंद्रसिंह राठौर ने जीत दर्ज की थी। इसी प्रकार 1989 मे पूरे देश में राम लहर चली थी और प्रदेश में भाजपा ने जर्बदस्त सीटें लेकर सरकार बनाई थी, तब भी यहां के मतदाताओं ने भाजपा की बजाए कांग्रेस के उम्मीदवार प्रेमसिंह दत्तीगांव को जीतवा कर भेजा था।

इसी तरह 1993 में जब प्रदेश मे कांग्रेस का जादू सिर चढ़कर बोल रहा था और कांग्रेस का हर छोटा बड़ा नेता जीत गया था लेकिन बदनावर के मतदाताओं ने कांग्रेस के बजाए भाजपा पर विश्वास जताया था

करीब 35 से 40 हजार हैं राजपूत मतदाता 

क्षेत्र में राजपूत मतदाता करीब 35 से 40 हजार हैं। पाटीदार करीब 40 से 45 हजार मतदाता हैं। वही 50 हजार आदिवासी मतदाता भी हैं। जबकि 15 से 18 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। इसके अलावा जाट , सिरवी, यादव, माली, राठौर समाज के लोग यहां रहते हैं. बदनावर की पूरी राजनीति राजपूत और पाटीदार मतदाता के इर्द गिर्द ही घूमती है।

यही निर्णायक मतदाता हैं और यही कारण है कि दोनों ही प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस राजपूत और पाटीदार प्रत्याक्षी चुनने में ज्यादा विश्वास रखती हैं। पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस से राजवर्धनसिंह दत्तीगांव और बीजेपी से भंवरसिंह शेखावत दोनों राजपूत उम्मीदवार थे ।

इन जीलों से लगी है बदनावर विधानसभा क्षेत्र की सीमा

बदनावर की भूगोल की बात करें तो बदनावर विधानसभा क्षेत्र की सीमा धार, रतलाम, उज्जैन, इंदौर, झाबुआ जिलों को टच करती है।

किसानी वाले मतदाताओं की संख्या अधिक

इस इलाके में खेती किसानी वाले मतदाता अधिक हैं। राजपूत और पाटीदारों के पास ज़मीन अच्छी मात्रा में है।एक बड़े भू भाग पर खेती की जाती है और क्षेत्र के किसान सीजन की फसलों के साथ ही साथ ही सब्जियां भी उगाते हैं।जो बड़े शहरों तक भी भेजी जाती हैं। बदनावर, इंदौर-रतलाम- उज्जैन-धार जैसे शहरों के बीच स्थित होने के कारण व्यापार व्यवसाय की दृष्टि से भी संपन्न माना जाता है ।

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