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इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली
Air Pollution In Delhi : यह दिवाली बेशक कोरोना मुक्त त्योहार रही, लेकिन लोगों को इस बार भी उतनी ही तकलीफ से गुजरना पड़ रहा है जितना कि कोरोना काल में लोग नाक मुंह ढक कर घर से निकलते थे। हालांकि उस समय केवल मास्क लगाकर काम चल जाता था। लेकिन अब हवा भी इतनी जहरीली हो चुकी है कि लोगों की आंखों तक को प्रभावित कर रही है।
यही नहीं इस आबोहवा में सांस लेने में भी तकलीफ होने लगे है। अस्थमा के रोगियों का हाल ही मत पूछो। बुजुर्ग सुबह शाम की सैर कर लेते थे लेकिन हाल तो यह है कि वह भी अब घरों में कैद होने को मजबूर हो गए हैं। दिवाली पर लोगों ने जमकर सरकारी हिदायतों की धज्जियां उड़ाते हुए पटाखे जलाए आतिशबाजी चलाई। जिसका नतीजा अब देखने को मिल रहा है। दिल्ली समेत एनसीआर काली धूंध की चादर में कहीं खो सा गया है।
एक्यूआई भी बढ़कर 533 तक पहुंच गया है। लोगों को जीने के लिए प्रयाप्त प्राणवायु नहीं मिल पा रही है। हवा इतनी विषैली हो चुकी है लोगों की नाक में दम हो गया है। बता दें कि गुरूवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 पर था जो कि शुक्रवार को बढ़कर साढ़े 400 पहुंच गया था। वहीं शनिवार को बढ़कर 533 तक जा पहुंचा है। जिससे कि दिल्ली वासियों समेत आसपास के जिलों में लोगों को खुले में सांस लेना मुश्किल होने लगा है।
यही नहीं यहां के बाशिंदों को आंखों में जलन के साथ ही आंसू भी निकलने लगे हैं, वहीं घर से बाहर जा रहे लोगों को गले में खराश की शिकायत देखने को मिल रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही सरकार को सचेत कर चुका था कि हम जश्न के रिवाज के नाम पर जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ हरगिज नहीं होने देंगे, और केंद्र सरकार सहित राज्य सरकारों को भी समय रहते उचित व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए थे।
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शीर्ष अदालत ने ग्रीन पटाखों की इजाजत देते हुए सरकारों से कहा था कि बाजारों में बिकने वाले पटाखों की निगरानी करते हुए सुनिश्चित करें कि कहीं कोई लापरवाही तो नहीं हो रही। जिस पर कार्रवाई करते हुए चंडीगढ़ समेत दिल्ली सरकार ने पटाखों की बिक्री समेत इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। यही नहीं एनसीआर में पड़ने वाले हरियाणा के 14 जिलों में भी सभी उपायुक्तों को पटाखों के चलन पर रोक लगाने के फरमान जारी किए गए थे।
कोर्ट के आदेश ऐसे में कागजी फरमान साबित हुए क्योंकि दिल्ली समेत प्रतिबंधित जिलों में भी लोगों ने जमकर आतिशबाजियां चलाई और पटाखे जलाए। जिसका असर यह हुआ कि वातावरण में विषाक्त पदार्थ घुल गए। पटाखों से निकलने वाले धुंए में न्यूमोनाइटिस रसायन भारी मात्रा में पाया गया है। जो कि सीधा व्यक्ति के फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है। इस रसायन से फेफड़ा संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
जिससे कि सांस लेने में दिक्कत आने के साथ ही फेफड़ा कैंसरग्रस्ति होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसके साथ ही लोगों में सीने में जलन व अन्य रोगी भी इस स्मॉग में परेशान हो रहे हैं। जिसके कारण अस्पतालों में मरीजों की भीड़ भी बढ़ने लगी है। (Air Pollution In Delhi)
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