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India News(इंडिया न्यूज),India-China Tension: तीन शक्तिशाली जुंटा विरोधी समूह – म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (MNDAA), अराकान आर्मी और ता’आंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (TNLA) – जिन्होंने पिछले अक्टूबर में सेना के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू किया था। जिसके बाद इस मामले में कई सारी बातें सामने आ रही थी। जिसके बाद आखिरकार चीन के साथ सीमा पर क्षेत्रों में एक अस्थायी युद्धविराम पर सहमत हुए। मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, हाल के हफ्तों में म्यांमार के एंटी-जुंटा समूहों द्वारा 440 सैन्य चौकियों पर कब्जा करने वाले प्रतिरोध सेनानियों सहित अन्य बढ़त ने पड़ोसी देश में नाजुक सुरक्षा स्थिति को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिससे भारत के रणनीतिक पूर्वोत्तर क्षेत्र पर असर पड़ रहा है।
थ्री ब्रदरहुड एलायंस नामक समूहों और म्यांमार के राज्य प्रशासन परिषद (एसएसी) के प्रतिनिधियों के बीच 10-11 जनवरी के दौरान कुनमिंग में हुई वार्ता में संघर्ष विराम को अंतिम रूप दिया गया। दिसंबर के बाद से चीन की मध्यस्थता में यह बातचीत का तीसरा दौर था और पिछले महीने एक और संघर्षविराम कुछ ही दिनों में टूट गया। जिसके बाद अधिकारियों ने कहा कि, अस्थायी युद्धविराम चीन की सीमा से लगे म्यांमार के शान राज्य तक सीमित होगा और रखाइन राज्य और सागांग क्षेत्र जैसे अन्य क्षेत्रों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जो भारत के साथ सीमा के करीब स्थित हैं और हाल के हफ्तों में तीव्र लड़ाई देखी गई है। म्यांमार के ताजा घटनाक्रम पर भारतीय अधिकारियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
वहीं इस संघर्ष विराम को लेकर बात अगर भारत की करें तो, भारत के साथ सीमा के करीब के इलाकों में लड़ाई से यह चिंता बढ़ गई है कि म्यांमार के सागांग क्षेत्र में ठिकानों वाले पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूह देश में वापस घुसने का प्रयास कर सकते हैं। कुकी और मैतेई उग्रवादी समूहों के अलावा, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम-इंडिपेंडेंट, जो शांति वार्ता का विरोध करता है, का म्यांमार में आधार है। हाल के हफ्तों में सैकड़ों म्यांमार के नागरिकों और सैनिकों ने मणिपुर और मिजोरम में शरण मांगी है, और बाद में 416 सैनिकों को वापस भेज दिया गया।
जानकारी के लिए बता दें कि, वहीं इस मामले में भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में इन चिंताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारतीय पक्ष सीमा पर स्थिति पर “बारीकी से नजर” रख रहा है और उसने करीब 20 असम राइफल्स बटालियनों को तैनात करके अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। इसके साथ ही इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि, इस सप्ताह की शुरुआत में, अधिकारियों सहित लगभग 700 म्यांमार सैन्य कर्मियों ने रखाइन राज्य में अराकान सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
इसके बाद जनवरी की शुरुआत में शान राज्य के लौक्कई में लगभग 2,500 सैन्य कर्मियों और उनके परिवारों ने आत्मसमर्पण कर दिया। लौक्कई में आत्मसमर्पण करने वालों में छह ब्रिगेडियर जनरलों और तीन कर्नलों सहित लगभग 230 अधिकारी शामिल थे। विशाल क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के अलावा, प्रतिरोध बलों ने 30 से अधिक महत्वपूर्ण शहरों पर नियंत्रण कर लिया है, जिनमें शान राज्य में 16, चिन राज्य में सात और सागांग क्षेत्र में चार शामिल हैं।
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