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Side Effects Of Plastic
जाने-अनजाने में ही प्लास्टिक की बनी चीज़ें हमारे जीवन की अभिन्न हिस्सा बन गई हैं, ये जाने बिना ही कि इससे पर्यावरण के साथ साथ हमारी सेहत को कितना नुकसान होता है। वैसे तो सरकारें समय-समय प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए हमें आगाह करती ही रहती है, लेकिन प्लास्टिक को लेकर सतर्कता हम ज्यादा दिन तक नहीं बरत पाते हैं। पर इससे होनेवाले ख़तरों को अनदेखा नहीं किया जा सकता. यदि समय रहते हमने प्लास्टिक का इस्तेमाल कम नहीं किया, तो हमें भविष्य में इसके ख़तरनाक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
डॉ ने लोगों को सलाह दी है कि हमें जितनी जल्दी हो सके प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद कर देना चाहिए। क्योंकि इससे हमारे शरीर पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं, इनमें से कुछ तो जानलेवा बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं।
डॉक्टर के अनुसार, प्लास्टिक की चीजें कई टॉक्सिक सब्सटेंस से बनी होती है, जो मानव शरीर के लिए अच्छे नहीं है। इनमें लैड, सीसा, मरकरी और कैडवियम होता है, जिनके कॉन्टेक्ट में आते ही कई तरह की सीरियस डिजीज का रिस्क होता है। और अगर इसके डायरेक्ट संपर्क में आ गए, तो बर्थ डिसॉर्डर का खतरा पैदा हो जाता है। बर्थ डिसॉर्डर यानी मां से बच्चे को भी कुछ डिसॉर्डर होते हैं। इसे साधारण भाषा में ऐसे समझा जा सकता है कि पैदा होते ही बच्चे को कोई बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है। डॉक्टर के अनुसार प्लास्टिक में हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करने के कण पाए गए हैं।
डॉक्टर पर्व आगे बताते हैं कि जिस प्लास्टिक की बॉटल्स और फूड पैकेजिंग का हम यूज करते हैं, उसमें सबसे घातक बीपीए बिस्फेनॉल ए टॉक्सीन पाया जाता है। ये टॉक्सिन पानी को प्रदूषित करता है, फिर ये तालाब की मछलियों में जाता है और बाद में लोगों की आंत में पहुंचता है। इससे हमारी हेल्थ कंडीशन खराब होने शुरू होती है। इसके अलावा जैसे हम प्लास्टिक बैगों को इस्तेमाल करने के बाद फेंक देते हैं, ये पर्यावरण के लिए गंभीर संकट बना हुआ है। ये पानी से लेकर भूमि को प्रदूषित करने के साथ ही पेड़-पौधों और फसलों की वृद्धि व उत्पादन को भी नुकसान पहुंचा रहा है।।
डॉक्टर के अनुसार, प्लास्टिक के यूज से सबसे ज्यादा दो बड़ी बीमारियों का खतरा रहता है। एक अस्थमा और दूसरी पल्मोनरी कैंसर)। दरअसल प्लास्टिक में मौजूद टॉक्सिन से सबसे पहले व्यक्ति अस्थमा की समस्या से जूझता है, जिसमें उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है। वहीं इससे पल्मोनरी कैंसर भी कैसे होता है, वो ऐसे कि जब भी प्लास्टिक को जलाते हैं, जो उसमें से जहरीली गैस निकलती है, जिसे हम इनहेल करते हैं और इससे पल्मोनरी कैंसर होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है।
डॉ ने ये भी बताया है कि किस तरह से प्लास्टिक लीवर को भी डैमेज भी करता है। वह बताते हैं कि जब हम ऐसा खाना खाते हैं, जिसमें प्लास्टिक की रैपिंग होती है और उसे काफी वक्त तक ऐसे ही रखते हैं, तो इसके टॉक्सिक सब्सटेंस खाने में आ जाते हैं। ऐसे में जब हम वो खाना खाते हैं, तो ये टॉक्सिक सब्सटेंस सीधा लीवर में पहुंचते हैं। इस दूषित भोजन को हम सही से पचा नहीं पाते हैं, जिससे वो लीवर या किडनी में रह जाता है।
प्लास्टिक हमारे ब्रेन को भी डैमेज कर सकता है, डॉ पर्व का कहना है लंबे समय तक खान-पान में प्लास्टिक का यूज करने से और इसके किडनी में पहुंचने से ब्रेन और नर्वस सिस्टम भी डैमेज हो सकता है। यही वजह है कि डॉ पर्व प्लास्टिक वाली चीजों का यूज नहीं करने के लिए कह रहे हैं।
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