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Anti Abortion Drug 17 OHPC : दवाओं के साइडइफैक्ट्स को लेकर हमारे मन में हमेशा सवाल रहता है। क्योंकि आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली कई ऐसी दवाएं हैं, जिनके लॉन्ग टाइम साइडइफैक्ट्स होते है। इसीलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि कोई भी दवा स्पेशलिस्ट डॉक्टर की सलाह से ही ली जानी चाहिए। ऐसे ही एक मामले में ह्यूस्टन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के साइंटिस्टों ने नई रिसर्च की है। (Anti Abortion Drug 17 OHPC)
जिसमें पाया गया है कि आमतौर पर गर्भपात या समय पूर्व बच्चे का जन्म रोकने के लिए दी जाने वाली एक दवा का गर्भाशय पर प्रतिकूल असर होता है, जिससे बच्चे को सारी उम्र कैंसर का रिस्क सामान्य बच्चों की तुलना में दोगुना बना रहता है। यह निष्कर्ष अमेरिकन जर्नल ऑफ अब्स्टेटिक्स एंड गाइनकोलाजी में प्रकाशित हुआ है। 17-ओएचपीसी नाम की ये मेडिसिन एक सिंथेटिक प्रोजेस्टोजन है, जो पिछली शताब्दी के मध्य से लेकर अब भी समय पूर्व प्रसव रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं को दी जाती है। (Anti Abortion Drug 17 OHPC)
इस स्टडी की राइटर केटलीन सी. मर्फी ने बताया कि जिन महिलाओं ने प्रेग्नेंसी के दौरान इस दवा का इस्तेमाल किया, उनके बच्चों में यह दवा नहीं लेने वाली महिलाओं के बच्चों की तुलना में ताउम्र कैंसर का खतरा दोगुना बना रहता है। उन्होंने बताया कि यह पाया गया कि पिछली शताब्दी में छठे दशक में या उसके बाद पैदा हुए लोगों में कोलोरेक्टल यानी आंत और मलाशय कैंसर, अग्नाशय कैंसर, थायराइड कैंसर समेत कई अन्य बीमारियां तेजी से बढ़ीं और इसका कोई ठोस कारण किसी को पता नहीं था। इसी के मद्देनजर शोधकर्ताओं ने जून 1959 से जून 1967 के बीच एक योजना के तहत जिन महिलाओं ने प्रसव-पूर्व देखरेख की सेवाएं लीं, उनके डेटा के साथ ही कैलिफोर्निया कैंसर रजिस्ट्री के डेटा का भी विश्लेषण किया. यह रजिस्ट्री बच्चों में कैंसर लेखा-जोखा रखा जाता है।
रिसर्चर्स ने पाया कि जीवित जन्मे 18,751 बच्चों में से 1,008 में शून्य से लेकर 58 वर्ष तक की उम्र में कैंसर की पहचान की गई। इनमें से 234 लोग ऐसे थे, जिनकी माताओं ने प्रेग्नेंसी के दौरान 17-ओएचपीसी दवा ली थी। वयस्क होने पर कैंसर ग्रसित होने वाले लोगों की संख्या दोगुनी थी, जो गर्भावस्था के दौरान इस दवा के संपर्क में आए थे। खास बात यह कि 65 प्रतिशत लोग 50 साल से कम उम्र में ही कैंसर पीड़ित हुए।
केटलीन सी. मर्फी ने आगे बताया कि हमारी स्टडी का निष्कर्ष इस बात की ओर इशारा करता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान इस दवा के इस्तेमाल से बच्चों का शुरुआती विकास बाधित होता है, जिससे दशकों बाद कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि इस स्टडी में सिंथेटिक हार्मोन का असर भी देखने को मिला। जो प्रतिक्रिया या प्रक्रिया हमारे साथ गर्भ में होती है, उसका असर जन्म के दशकों बाद कैंसर के बढ़े रिस्क के रूप में दिखता है।
इतना ही नहीं, औचक ट्रायल में यह भी पाया गया कि 17-ओएचपीसी का कोई लाभ नहीं होता है और ये दवा समय पूर्व प्रसव का रिस्क भी कम नहीं करती है। इन्हीं कारणों से अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने अक्टूबर 2020 में इस दवा को बाजार से वापस लेने का प्रस्ताव दिया था।
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