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चुनावी प्रचार के लिए क्या करते थे जेटली के ससुर? बनाया ऐसा रिकॉर्ड कि आज तक कोई तोड़ नहीं पाया

Rajesh kumar • LAST UPDATED : April 4, 2024, 9:19 am IST
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चुनावी प्रचार के लिए क्या करते थे जेटली के ससुर? बनाया ऐसा रिकॉर्ड कि आज तक कोई तोड़ नहीं पाया

दिवंगत गिरधारी लाल डोगरा

India News(इंडिया न्यूज),Arun Jaitley: कांग्रेस से दो बार लोकसभा सदस्य रहे स्वर्गीय गिरधारी लाल डोगरा ने आचार संहिता का सख्ती से पालन किया। वह बिना गाड़ियों के काफिले के प्रचार के लिए निकलते थे। उनके पास कोई चुनाव प्रचार सामग्री भी नहीं थी। वह बस लोगों से सौहार्दपूर्ण तरीके से मिले।

हालाँकि, गिरधारी लाल डोगरा के पास लाल रंग की जोंगा टाइप जीप थी। उन्होंने लगातार 27 वर्षों तक जम्मू-कश्मीर में वित्त विभाग संभाला। उन्होंने 26 बजट पेश किये। इस रिकॉर्ड को कोई नहीं तोड़ सका। वर्ष 1952 में, उन्हें हीरानगर निर्वाचन क्षेत्र से जम्मू और कश्मीर संविधान सभा के लिए नामांकित किया गया था। वह 1957, 1962, 1967, 1972 और 1975 में हीरानगर और उधमपुर से विधायक चुने गए। वह कभी चुनाव नहीं हारे।

संसद में उठा पानी का मुद्दा

वह कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम मोहम्मद बख्शी से लेकर मोहम्मद सादिक, सैयद मीर कासिम से लेकर एनसी के पहले प्रधानमंत्री और बाद में मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला तक की सरकारों में वित्त मंत्री भी रहे। उनके कार्यकाल में हीरानगर का भी काफी विकास हुआ।

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इंदिरा गांधी ने पहली बार 1980 के लोकसभा उपचुनाव में जम्मू-पुंछ सीट से चुनाव लड़ा था, जीतकर वह पहली बार संसद पहुंचीं और कठुआ जिले, खासकर हीरानगर के कंडी इलाके में पीने के पानी की समस्या को उठाया। । इसके बाद जम्मू संभाग में ओवरहेड ट्यूबवेल लगाने का काम शुरू हुआ।

किसान थे पिता

किसान के बेटे गिरधारी लाल की बड़ी बेटी की शादी पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से हुई थी। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद साल 1984 में राजीव गांधी के नेतृत्व में उन्हें उधमपुर-कठुआ सीट से उम्मीदवार बनाया गया और जीत भी हासिल की। गिरधारी लाल हीरानगर के भैया गांव के रहने वाले थे। उनके पिता एक किसान थे।

गांव में इकलौता थे जिसने 10वीं पास की

17 जुलाई 1915 को जन्मे गिरधारी लाल डोगरा की प्राथमिक शिक्षा उनके गांव भाया के गुढ़ा मुंडिया सरकारी स्कूल में हुई। दसवीं कक्षा सांबा के सरकारी स्कूल से की। वह गांव में 10वीं कक्षा पूरी करने वाले पहले छात्र थे। अमृतसर हिंदू कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे वहां छात्र नेता भी बने। लाहौर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की और फिर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गये।

वर्ष 1942 में वे नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गये और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में सक्रिय भाग लेने लगे। वह 1964 में कांग्रेस में शामिल हुए। 1987 में उनकी मृत्यु हो गई।

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