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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के दौरान पाकिस्तान लगातार उसकी मदद करता रहा है। पहले इस तरह की अपुष्ट जानकारी सामने आ रही थीं लेकिन अब यह पुष्टि हो गई है।
Social Media Website Facebook (अब मेटा) ने इसकी पुष्टि कर दी है। कंपनी के एक अधिकारी ने रॉयटर्स के साथ एक साक्षात्कार में कहा है कि तालिबान जब अफगानिस्तान पर कब्जा करने में लगा था उस समय पाकिस्तानी हैकर्स ने धड़ल्ले से अफगानिस्तान में लोगों को निशाना बनाने के लिए फेसबुक का इस्तेमाल किया।
हैकर्स के निशाने पर काबुल में सरकार, सेना और कानून प्रवर्तन से जुड़े लोग शामिल थे। फेसबुक ने कहा कि उसने अगस्त में ही साइडकॉपी को अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया। बता दें कि सुरक्षा उद्योग में साइडकॉपी के नाम से जाना जाने वाला समूह मैलवेयर की मेजबानी करने वाली वेबसाइटों के लिंक साझा करता है। यह लोगों के उपकरणों का सर्वेक्षण कर सकता है।
फेसबुक के साइबर जासूसी जांच के प्रमुख Mike Devlyansky ने कहा, हैकर्स के मकसद के बारे में अनुमान लगाना हमारे लिए हमेशा मुश्किल होता है। हम ठीक से नहीं जानते कि किससे समझौता किया गया था या उसका अंतिम परिणाम क्या था। Major online platforms and email providers, including Facebook, Twitter Inc., Alphabet Inc.’s Google, and Microsoft Corp.’s LinkedIn ने कहा है कि उन्होंने अफगानिस्तान पर तालिबान के तेजी से अधिग्रहण के दौरान अफगान यूजर्स के खातों को बंद करने के लिए कदम उठाए हैं।
फेसबुक ने पिछले महीने दो हैकिंग समूहों के खातों को निष्क्रिय कर दिया था, जिन्हें उसने सीरिया की वायु सेना की खुफिया जानकारी से जोड़ा था। जांचकर्ताओं ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि एक समूह, जिसे सीरियन इलेक्ट्रॉनिक आर्मी के नाम से जाना जाता है, ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों को निशाना बनाया। दूसरे ने फ्री सीरियन आर्मी से जुड़े लोगों और पूर्व सैन्य कर्मियों को निशाना बनाया।
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