संबंधित खबरें
घर में शराब रखना होता है शुभ? आचार्य ने बताया रखने का सही तरीका…अचानक मिलने लगेंगी ये 3 अनमोल चीजें
आखिर क्या है वजह जो गर्भवती महिलाओं को नहीं काटते सांप, देखते ही क्यों पलट लेते हैं रास्ता? ब्रह्मवैवर्त पुराण में छुपे हैं इसके गहरे राज!
क्या आपके घर का मेन गेट भी है गलत दिशा में? तो हो जाएं सतर्क वरना पड़ सकता है आपकी जिंदगी पर बूरा असर!
अगर श्री कृष्ण चाहते तो चुटकियों में रोक सकते थे महाभारत का युद्ध, क्यों नही उठाए अपने अस्त्र? इस वजह से बने थे पार्थ के सारथी!
आखिर क्या वजह आन पड़ी कि भगवान शिव को लेना पड़ा भैरव अवतार, इन कथाओं में छुपा है ये बड़ा रहस्य, काशी में आज भी मौजूद है सबूत!
इन 3 राशि के जातकों के लिए खास है आज का दिन, गजकेसरी योग से होगा इतना धन लाभ की संभाल नही पाएंगे आप! जानें आज का राशिफल
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
मृत्यु में भगवान शिव की दिलचस्पी नहीं है। उनके लिए मृत्यु एक बेहद मामूली बात है। यह दिखाने के लिए कि वह मृत्यु का तिरस्कार करते हैं, वह अपने शरीर पर चिता की भस्म लगाते हैं। तो आध्यात्मिक साधना मृत्यु से बचने के लिए नहीं होती, बल्कि मृत्यु की जो वजह है, यानी जन्म से मुक्ति के लिए है।
मिट्टी के एक ढेले को लेकर उसे मानव आकार देना और उसे चलता-फिरता और बोलता हुआ बनाना। यह कुम्हार का धंधा, जो कुछ देर बाद कठपुतली के तमाशे का रूप ले लेता है, दरअसल एक साधारण सी ट्रिक है। एक दर्शक के नाते उस तमाशे को देखना एक बात है, लेकिन उसी तमाशे को पर्दे के पीछे से जानना व समझना बिलकुल अलग चीज है। एक बार अगर आप तमाशे को पर्दे के पीछे से देखना शुरू कर देते हैं, तो कुछ समय बाद आपके लिए यह बेहद मामूली चीज बन जाता है। अब आपको इसकी कहानी व ड्रामा रोमांचित नहीं करते, क्योंकि अब आप जान चुके होते हैं कि इसमें सारी चीजों को कैसे संचालित किया गया है। केवल वही लोग जिनकी याद्दाश्त छोटी होती है, रोज आकर एक ही नाटक देखेंगे और मजे लेंगे। दरअसल, ऐसे लोग पिछले दिन की अपनी याददाश्त खो चुके होते हैं, उनके लिए रोज का नाटक काफी रोमांचक और चुनौतीपूर्ण होता है।
आध्यात्मिक प्रक्रिया जीवन और मृत्यु के बारे में नहीं होती। शरीर का जन्म व मृत्यु होती है, जबकि आध्यात्मिक प्रक्रिया आपके बारे में होती है, जो कि न तो जीवन है और न ही मृत्यु। अगर इसे आसान शब्दों में कहा जाए तो इस पूरी आध्यात्मिकता का मकसद उस चीज को हासिल करने की कोशिश है, जिसे यह धरती आपसे वापस नहीं ले सकती। आपका यह शरीर इस धरती से लिया गया कर्ज है, जिसे यह धरती पूरा का पूरा आपसे वापस ले लेगी। लेकिन जब तक आपके पास यह शरीर है, तब आप इससे ऐसी चीज बना सकते हैं या हासिल कर सकते हैं, जो धरती आपसे वापस न ले पाए। चाहे आप प्राणायाम करें या ध्यान, आपकी ये सारी कोशिशें आपकी जीवन ऊर्जा को एक तरह से रूपांतरित करने का तरीका हैं, ताकि ये मांस बनाने के बजाय कुछ ऐसे सूक्ष्म तत्व का निर्माण कर सके, जो मांस की अपेक्षा ज्यादा टिकाऊ हो। अगर आप इस सूक्ष्म तत्व को पाने की कोशिश नहीं करेंगे तो जीवन के अंत में जब आपसे कर्ज वसूली करने वाले आएंगे तो वे आपसे सब चीज ले लेंगे और आपके पास कुछ नहीं बचेगा। उसके बाद की आपकी यात्रा का हिस्सा अच्छा नहीं होगा।
इस शरीर को अपने बारे में बहुत गुमान होता है, लेकिन आप इस धरती का महज एक छोटा सा हिस्सा हैं। इसलिए हम लोग शरीर को ज्यादा से ज्यादा धरती के संपर्क में रखने की कोशिश करते हैं, जिससे उसको लगातार इस बात का अहसास होता रहे कि वह इसी धरती का एक छोटा सा हिस्सा है। यही वजह है कि आध्यात्मिक लोग हमेशा नंगे पैर रहते हैं और खाली जमीन पर बैठना पसंद करते हैं। जमीन पर पालथी मारकर बैठने से शरीर को कहीं न कहीं इस बात का अनुभव होता है। जिस क्षण यह धरती के संपर्क में आता है, इसे तुरंत अहसास हो जाता है कि यह भी धरती ही है। यही वजह है कि ज्यादातर आध्यात्मिक लोग पहाड़ों में जाना व रहना पसंद करते हैं, क्योंकि पहाड़ों में याद दिलाने का यह काम ज्यादा बड़े पैमाने पर होता है। पहाड़ वो जगह है, जहां धरती आपसे मिलने के लिए ऊपर उठी हुई है। अगर आप आप पहाड़ों में बनी गुफा में चले जाएं तो आपको अपने चारों तरफ धरती का अहसास होगा। यह अपने आप में याद दिलाने का एक जबरदस्त तरीका है। इसलिए पहाड़ों में रहना चुनौतीपूर्ण होते हुए भी योगी अक्सर अपने रहने के लिए पहाड़ों को चुनते हैं। वहां शरीर को लगातार याद दिलाया जाता रहता है, मन या बुद्धि को नहीं, कि वह नश्वर है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.