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India News (इंडिया न्यूज़), Mangalsutra: हिंदू धर्म की विवाहित महिलाएं मंगलसूत्र पहनती हैं। मान्यताओं के अनुसार मंगल सूत्र पहनने से दांपत्य जीवन सुरक्षित रहता है और दांपत्य जीवन भी सुखमय रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गले में मंगलसूत्र पहनने की परंपरा कैसे शुरू हुई और इसे पहनने के और क्या फायदे हैं? अगर आप इसके बारे में नहीं जानते हैं तो आइए हम आपको विस्तार से जानकारी देते हैं।
हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि विवाहित महिला द्वारा गले में मंगलसूत्र पहनने की परंपरा शिव और पार्वती के विवाह से शुरू हुई। माता सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया। माता पार्वती से विवाह के दौरान भगवान शिव को माता सती की याद आने लगी। आपको बता दें कि माता सती ने हवन कुंड में आत्मदाह कर लिया था। यह सुनिश्चित करने के लिए कि माता पार्वती के साथ कभी कोई अप्रिय घटना न हो, भगवान शिव ने एक पीले धागे में काले मोती बांधकर एक रक्षा सूत्र बनाया और विवाह अनुष्ठान के दौरान माता पार्वती को वह धागा पहनाया। भगवान शिव चाहते थे कि अब उनके वैवाहिक जीवन में कोई बाधा न आए।
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इससे जुड़ी मान्यताओं के अनुसार, तभी से हिंदू धर्म की विवाहित महिलाएं मंगल सूत्र पहनने लगीं। वहीं इतिहास के जानकारों का कहना है कि मोहनजोदड़ो की खुदाई में मंगलसूत्र के साक्ष्य मिले हैं, इसलिए उनका मानना है कि इसकी शुरुआत उसी काल से हुई है।
मंगलसूत्र पहनने के पीछे कई मान्यताएं हैं। सबसे प्रचलित मान्यता यह है कि मंगलसूत्र पहनने से वैवाहिक जीवन सुरक्षित रहता है और वैवाहिक जीवन में परेशानियां नहीं आतीं। जानकारों का मानना है कि मंगलसूत्र में 9 मोती होते हैं जो देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माने जाते हैं। इसलिए मंगलसूत्र पहनने से महिलाएं ऊर्जावान रहती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसे पहनने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है, क्योंकि ज्यादातर मंगलसूत्र सोने या पीले धागे से बने होते हैं। ये दोनों चीजें बृहस्पति ग्रह से संबंधित हैं और बृहस्पति वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि लाने वाला ग्रह है। जो लोग काले धागे से बना मंगलसूत्र पहनते हैं उन्हें शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
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