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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जो तब होता है जब एक महिला के हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। ये बहुत बड़ी बात नहीं लगती, लेकिन ये कई मुश्किलें पैदा कर सकता है जो दिन-ब-दिन काम करना मुश्किल बना देता है। सबसे आम पीसीओएस लक्षणों में से कुछ हैं। चेहरे और शरीर पर ज्यादा बाल, मुंहासे, बाल झड़ना, अनियमित पीरियड्स, प्रजनन संबंधी समस्याएं, वजन बढ़ना।
कोई डॉक्टर से मिलकर पता लगा सकता है कि उन्हें पीसीओएस है, लेकिन कई ऐसी भी चीजें हैं, जिनके बारे में कोई भी आपको नहीं बताता है। इस ज्ञान और जागरुकता की कमी की वजह से लोग इस तकलीफ को महसूस किए बिना ऐसी कई चीजें कहने लगते हैं, जो काफी कड़वी और मन को ठेस पहुंचाने वाली होती हैं। उदाहरण के लिए, हार्मोनल डिसऑर्डर के कारण बाहरी किनारों पर छोटे-छोटे सिस्ट के साथ सूजी हुई ओवरी अनियमित पीरियड्स की वजह होती है, जब इसे इस तरीके से बताया जाए तो क्या ये सुविधाजनक लगती है? पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम सिर्फ पीरियड से जुड़ी समस्या नहीं है। अनियमित पीरियड्स इसके तमाम लक्षणों में से सिर्फ एक लक्षण है। पीसीओएस का मतलब ये नहीं है कि इसके कारण महिला गर्भवती नहीं हो सकती। सेक्सुअल इंटरकोर्स के समय प्रोटेक्शन लेना जरूरी है। इसका पीसीओएस के होने, न होने से कोई संबंध नहीं।
पीसीओएस के साथ टेस्टोस्टेरोन के बढ़े लेवल के कारण, महिलाओं में बालों के झड़ने, शरीर और चेहरे के बालों की असामान्य बढ़त, साथ ही बाल पतले हो सकते हैं। बहुत से लोग बॉडी शेमिंग को एक तरह का हक समझते हैं। शायद ही कभी वे समझते हैं कि ये कितना हानिकारक हो सकता है। पीसीओएस से जूझ रही कुछ महिलाओं में इंसुलिन रेसिस्टेंस भी होता है, जो तब होता है जब शरीर को रक्तप्रवाह से ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तित करने में कठिनाई होती है। इंसुलिन प्रतिरोध अक्सर मोटापे के लिए एक बड़ा कारक होता है। इंसान का मन और शरीर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए, मन का शरीर पर और शरीर का मन पर प्रभाव होता है। पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं को मूड स्विंग या भावनात्मक अस्थिरता का अनुभव हो सकता है, जो डिप्रेशन के लक्षणों में से एक भी हो सकता है। इसका बायोलॉजिकल के साथ-साथ साइकोलॉजिकल प्रभाव भी हो सकता है।
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