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India News (इंडिया न्यूज), Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। इस दिन शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। मान्यता है कि अगर त्रयोदशी की रात के पहले पहर में शिव प्रतिमा के सामने कुछ अर्पित किया जाए और शिव जी के दर्शन किए जाएं तो सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। प्रदोष व्रत शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का व्रत आज बुधवार को रखा जाएगा। यानी यह बुध प्रदोष व्रत होगा, तो आइए जानते हैं कि इस दिन पूजा की सही विधि क्या रहेगी, पूजा का शुभ मुहूर्त कब रहेगा और प्रदोष व्रत का क्या महत्व है।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 19 तारीख को सुबह 7:29 बजे तक रहेगी। इसके बाद त्रयोदशी तिथि शुरू हो जाएगी, जो 20 तारीख को सुबह 7:51 बजे समाप्त होगी। यानी आज त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल रहेगा। इसलिए त्रयोदशी तिथि को रखा जाने वाला प्रदोष व्रत भी 19 जून को रखा जाएगा। प्रदोष व्रत में शिव पूजन के लिए सबसे शुभ समय शाम का माना जाता है। इसलिए आप सूर्यास्त के बाद पूजा शुरू कर सकते हैं और 8 बजे तक का समय पूजा के लिए शुभ रहेगा।
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आपको सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन पूजा के दौरान साफ कपड़े पहनें और पूरे दिन अपने मन में भगवान शिव का ध्यान रखें। इसके साथ ही आप दिन में शिव के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। आपको दिन में सोने से बचना चाहिए और फलों के अलावा किसी और चीज का सेवन नहीं करना चाहिए। शाम के समय प्रदोष काल में आपको भगवान शिव की मूर्ति को ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए, अगर घर में पूजा का स्थान इस दिशा में है तो आप वहां पूजा कर सकते हैं। पूजा के दौरान आपको शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए और साथ ही भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। पूजा समाप्त होने के बाद आपको घर में लोगों में प्रसाद बांटना चाहिए और खुद भी इस प्रसाद को खाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अगर आप इस दिन भक्ति भाव से शिव की पूजा करते हैं तो आपको पारिवारिक जीवन में अच्छे परिणाम मिलते हैं और आपकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है।
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