India News (इंडिया न्यूज), Aurangzeb Daughter Zeb Un Nisa: औरंगजेब की बेटी से जुड़ी कहानी के बारे में बताएं तो उनकी एक बेटी जेब-उन-निसा सभी मुगल शहजादियों में सबसे ज्यादा बुद्धिमान मानी जाती थी। उन्हें उच्च कोटि की काव्यात्री भी कहा जाता है। खूबसूरती के मामले में उनकी टक्कर का कोई नहीं था। वही अपने पिता की वह सबसे बड़ी संतान थी और घर की सबसे लाडली भी। वही एक बार का किस्सा है कि जब औरंगजेब अपनी बेटी से नाराज हो गए थे। तो उन्होंने उसे 20 साल के लिए दिल्ली के सीलमगढ़ किले में बंद कर दिया था।
जेब-उन-निसा के बारे में बताएं तो उन्होंने कभी भी शादी नहीं की थी। पूरी जिंदगी वह अविवाहित रही। हालांकि उन्होंने प्यार जरूर किया था। जिससे वह चुप-चुप के मिला करती थी। महल के अंदर उनकी मुलाकात के कई किस्से भी लगाए गए खासकर तब जब उनके प्यार के किस दो हिंदू शूरवीर राजाओं के साथ लिए जाते थे। Aurangzeb Daughter Zeb Un Nisa
बता दे की औरंगजेब ने अपनी सबसे बड़ी बेटी की शादी उसके दादा सम्राट शाहजहां के चचेरे भाई राजकुमार सुलेमान शिकोहा से तय की थी। जो शाहजहां की सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह के बेटे थे लेकिन यह शादी कभी हो नहीं पाई, क्योंकि औरंगजेब ने दारा को हराकर उसकी बादशाही पर कब्जा कर लिया था और अपने बड़े भाई के कत्ल भी कर दिया।
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कहानियों के माध्यम से बताया जाता है कि जेब-उन-निसा उसे हिंदू राजकुमार से प्यार कर बैठी थी। जिसने मुगलों को हराकर अपना राज पाठ वापस लिया था और बुंदेला के नाम से एक नया राज्य स्थापित कर दिया था। इस राजा की जीत की कहानी बड़े-बड़े लोगों तक पहुंचे थे। वहीं इस राजा की एक मुस्लिम उप पत्नी भी थी जिसका नाम रूहानी बाई था।
राजा के नाम के बारे में बताएं तो उनका नाम छत्रसाल था। जो पन्ना के शासक थे, इतिहासकार बताते हैं कि जेब-उन-निसा छत्रसाल बुंदेला से प्यार कर बैठी थी और औरंगजेब को इस बात का पता चला तो उनको काफी झटका लगा कहा तो यह भी जाता है कि इस वजह से उन्होंने अपनी बेटी को कैद कर लिया था। कई इतिहासकार यह भी कहते हैं। जेब-उन-निसा बुंदेलखंड के सम्राट छत्रसाल बुंदेला के बीच गुप्त प्रेम की कहानी भी थी, हालांकि इसे साबित करने के लिए कोई भी काव्यांश नहीं है। कुछ कहानी में यह भी कहा गया है कि वह महाराज शिवाजी के वीरता की पर भी फ़िदा हो गई थी।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि औरंगजेब ने अपनी बेटी को कैद में इसलिए भेजा था क्योंकि वह उनके खिलाफ विद्रोह में अकबर का साथ दे रही थी जिस वजह से उसे जेल में डाल दिया गया।
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राजकुमारी के बारे में यह भी कहा जाता है कि मैं काफी दयालु स्वभाव की थी। उन्हें संगीत में काफी रुचि थी इसके अलावा उनकी गिनती उसे दौरान की महिला गायको में सबसे ज्यादा ऊपर की जाती थी। वह साहित्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया करती थी और अपनी कविताओं को सुनाया करती थी वही अपनी पहचान को छुपाने के लिए वह अपने चेहरे को हमेशा नकाब के पीछे छुप के रखा करती थी।
जब शाहजहां के बाद औरंगजेब को बादशाह बनाया गया तो उसे दौरान जेबुन्निसा की उम्र 21 साल थी औरंगजेब शुरू से ही अपनी बेटी की हर राय को काफी तवज्जो दिया करते थे इसलिए वह उनकी पसंदीदा भी थी। जेब-उन-निसा के बारे में यह भी बताया जाता है कि उन्होंने अंग्या कुर्ते नाम का एक परिधान भी बनाया था। जिसको आज के समय में तुर्किस्तान की महिलाएं पहनती है।
20 साल की बाद के बारे में बताया जाता है कि जेब-उन-निसा की 20 साल की कैद के बाद वह 7 दिनों के लिए बीमार पड़ी थी। और इसके बाद उनकी मौत हो गई जेब-उन-निसा की मौत को 26 मई 1702 में दर्ज किया गया है। वहीं उन्हें काबुली गेट के ठीक बाहर उनकी पसंदीदा जगह तीज हाजरी में दफनाया गया था। बाद में वहां पर रेलवे ट्रैक बिछा दिए गए और उनकी खबर को नष्ट कर दिया गया।
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