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India News (इंडिया न्यूज), Kargil Vijay Diwas 2024: हर कदम लेना है जिंदगी के लिए। अगर इतिहास बदलना है तो इतिहास लिखना पड़ेगा। जब भारतीय सेना के शहीद जवान इंडिया न्यूज से बात की तो कुछ इस तरह से अपने भाई विक्रम बत्रा पर गर्व से बोलते हुए नजर आए विशाल बत्रा। इसके साथ ही उन्होनें कहा कि कैसे दोनों फौज में जाना चाहता थे। लेकिन किस तरह एक साथ अप्लाई करने के बाद भी वो दोनों सेलेक्ट नहीं हो पाए और विक्रम ने कर दिखाया। आपको बता दें कि कल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाएगा ऐसे में इंडिया न्यूज ने शहीद के भाई से बात की।
कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को उन भारतीय सैनिकों की बहादुरी को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है, उन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। यह आयोजन मई 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुए कारगिल युद्ध के समापन का प्रतीक है। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ किए गए जम्मू और कश्मीर के कारगिल सेक्टर में रणनीतिक स्थिति को सफलतापूर्वक पुनः प्राप्त किया।
भारत और पाकिस्तान 1971 में एक बड़े युद्ध में शामिल थे, जिसके कारण बांग्लादेश का निर्माण हुआ। दोनों शक्तियां आसपास की पर्वत श्रृंखलाओं पर सैन्य चौकियां बनाकर सियाचिन ग्लेशियर पर हावी होने की अपनी लड़ाई जारी रखती हैं। जब दोनों देशों ने 1998 में अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण किया, तो पड़ोसियों के बीच दुश्मनी अपने चरम पर पहुँच गई। तनाव को कम करने के लिए, उन्होंने फरवरी 1999 में लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और कश्मीर मुद्दे के द्विपक्षीय, शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया।
विक्रम को भाई ने कैमरे पर कहा कि हालांकि हम दोनों भाई बचपन से ही फौज में जाता चाहते थे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। मैं तीन पर रिजेक्ट हो गया। लेकिन उसने कर दिखाया। फिर मैनै सोच कि “भारतीय सेना के लिए एक विक्रम बत्रा काफी है। मैं अपने भाई को रोज याद करता हुं। यह बत्रा टॉप मेरे लिए तीर्थस्थल है। मेरा भाई वही है। मैं उसी टॉप पर गया था देखने जहा उसने आखरी बार “Yeh Dil Maange More” का नारा दिया. हम दोनो ही भारतीय सेना में आना चाहते थे , लेकिन मैं सेना से 3 बार रिजेक्ट हुआ। शायद यह किस्मत ही थी। लेकिन मेरा भाई, विक्रम बत्रा उसने कर दिखाया।
‘या तो मैं जीत के बाद तिरंगा लहरा कर आउंगा या फिर उसी तिरंगे में लिपट कर आउंगा। लेकिन आउंगा ज़रूर।’
We all pay #tribute to the courageous #warrior of #Kargil_War, #Capton_Vikram_Batra Sir on his birthday. #Salute to the real hero of the nation 🇮🇳
.@adgpi @PMOIndia #Shershah pic.twitter.com/LpjCkRwHAU— Vedprakash Sahu (@Vedprak16490091) September 9, 2021
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आपको बता दें कि उनकी जिवन से पर आधारित एक फिल्म भी हो चुकी है शेरशाह। जिसमें विक्रम का किरदार सिद्धार्थ मल्होत्रा ने निभाया था। शेरशाह पीवीसी पुरस्कार विजेता भारतीय सैनिक कैप्टन विक्रम बत्रा की कहानी है, जिनकी बहादुरी और पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय क्षेत्र से खदेड़ने के अदम्य साहस ने भारत को अंततः 1999 में कारगिल युद्ध जीतने में बहुत योगदान दिया।
कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित, जो भारतीय सेना के एक अधिकारी थे, जिन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर में 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान उनके कार्यों के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च और प्रतिष्ठित पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। एक समय पर फिल्म का नाम ये दिल मांगे मोर रखा गया था, जो कारगिल युद्ध विक्रम बत्रा का संदेश था, जिन पर यह बायोपिक बनी है।
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