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सिर्फ गंगा नदी में ही क्यों बहाई जाती हैं अस्थियां? न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक कारणों से भी होता है ऐसा….!

Prachi Jain • LAST UPDATED : August 15, 2024, 2:21 pm IST
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सिर्फ गंगा नदी में ही क्यों बहाई जाती हैं अस्थियां? न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक कारणों से भी होता है ऐसा….!

India News (इंडिया न्यूज), Ganga Mein Asthiyan: गंगा नदी में अस्थियों का विसर्जन हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाने का श्रेय राजा भगीरथ को दिया जाता है, जिन्होंने अपने पूर्वजों की आत्माओं के उद्धार के लिए घोर तपस्या की थी। गंगा नदी का पवित्र जल आत्मा को मोक्ष प्रदान करने वाला और पापों को धोने वाला माना जाता है। शास्त्रों में भी यह कहा गया है कि गंगा में अस्थि विसर्जन से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है और उसे पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिल सकती है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी गंगा जल की शुद्धिकरण क्षमता, जिसमें बैक्टीरियोफाज जैसे जीवाणुनाशी तत्व होते हैं, अस्थियों को जल्दी विघटित कर देती है। गंगा नदी के जल में उच्च मात्रा में घुलित ऑक्सीजन और आसपास के औषधीय पौधों के कारण यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है। इसलिए गंगा नदी में अस्थि विसर्जन धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।दी में अस्थियां बहाने की परंपरा का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण हैं:

 

धार्मिक कारण:

 

पवित्रता का प्रतीक: गंगा नदी को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गंगा में स्नान और अस्थियों के विसर्जन से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शास्त्रों का उल्लेख: हिंदू धर्म के शास्त्रों में गंगा नदी का उल्लेख इस रूप में किया गया है कि उसमें बहाई गई अस्थियों से आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है। विशेष रूप से ‘गरुड़ पुराण’ में गंगा में अस्थि विसर्जन का महत्व बताया गया है।

गंगा अवतरण की कथा: पौराणिक कथा के अनुसार, गंगा नदी भगवान शिव की जटाओं से धरती पर उतरी थी। इस घटना को त्रेतायुग के राजा भगीरथ की तपस्या का फल माना जाता है, जिन्होंने अपने पूर्वजों की आत्माओं के उद्धार के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रयास किया

वैज्ञानिक कारण:

जल की शुद्धिकरण क्षमता: गंगा नदी के जल में स्वाभाविक रूप से बैक्टीरियोफाज नामक वायरस पाया जाता है, जो जल में पाए जाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है। यह गुण गंगा जल को अन्य नदियों की तुलना में ज्यादा शुद्ध और स्वच्छ बनाता है, जिससे अस्थियों का विघटन जल्दी और प्रभावी ढंग से हो जाता है।

जैविक विघटन: गंगा नदी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है, जो मृत जैविक पदार्थों के विघटन को तेज करती है। इससे अस्थियां जल्दी जल में घुल जाती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं होता।

आस-पास की वनस्पतियां: गंगा नदी के किनारे कई औषधीय पौधे और वृक्ष पाए जाते हैं, जो वातावरण को शुद्ध और औषधीय गुणों से भरपूर बनाते हैं। यह भी एक कारण है कि गंगा नदी को धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।

इन कारणों से, गंगा नदी को अस्थि विसर्जन के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है। 

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