India News (इंडिया न्यूज), Shri Krishna: श्रीकृष्ण के जीवन और लीलाओं से जुड़ी कई घटनाएँ हम न जाने कब से सुनते आ रहे हैं ऐसी ही कई घटनाओं के बारे में हमने हमारे दादी-नानी से भी कई किस्से सुने हैं, जहाँ उन्होंने नियति के विरुद्ध जाकर लोगों को जीवित किया। यहाँ 8 प्रमुख व्यक्तियों का वर्णन किया गया है जिन्हें श्रीकृष्ण ने पुनः जीवनदान दिया:
अभिमन्यु के पुत्र परिक्षित का जन्म होने से पहले ही अश्वत्थामा ने उसे ब्रह्मास्त्र से मार दिया था। श्रीकृष्ण ने अपने दिव्य शक्ति से परिक्षित को पुनः जीवनदान दिया, जिससे वह पांडव वंश का उत्तराधिकारी बन सका।
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श्रीकृष्ण ने अपने गुरु संदीपनि मुनि की गुरुदक्षिणा के रूप में उनके मृत पुत्र को यमलोक से वापस लाकर पुनर्जीवित किया था।
कुचेला, जो श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र थे, गरीबी से अत्यंत पीड़ित थे। श्रीकृष्ण ने उनके घर की स्थिति को बदल दिया और उन्हें समृद्धि और जीवन का नया अवसर दिया।
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द्रौपदी के पांच पुत्रों को अश्वत्थामा ने रात में सोते समय मार दिया था। श्रीकृष्ण ने उनके मृत शरीरों में प्राण फूंककर पुनः जीवित कर दिया, ताकि वे स्वर्ग में जा सकें।
महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह को शरशय्या पर लेटा दिया गया था। हालांकि, उन्होंने अपने प्राण तब तक नहीं त्यागे जब तक कि श्रीकृष्ण ने उन्हें इजाजत नहीं दी। यह भी एक प्रकार का जीवनदान था क्योंकि वे अपनी इच्छा से मृत्यु को टाल सकते थे।
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अभिमन्यु के पुत्र परिक्षित को ब्रह्मास्त्र से बचाने के बाद, श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु को भी जीवनदान देने का प्रयास किया था, लेकिन नियति ने उन्हें नहीं बचाया। यह घटना श्रीकृष्ण के प्रयासों का एक उदाहरण है।
जब गोपियों ने श्रीकृष्ण के दर्शन न मिलने पर समाधि ले ली थी, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें पुनः जीवित किया और उन्हें दर्शन देकर उनके जीवन में आनंद लौटाया।
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जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से अपने पांच पतियों के जीवन के लिए सहायता मांगी, तो श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की और उन्हें जीवनदान दिया, जब वे कौरवों के हाथों पराजित हो रहे थे।
इन घटनाओं के माध्यम से श्रीकृष्ण ने न केवल लोगों के जीवन को बचाया, बल्कि यह भी दर्शाया कि वह समय और नियति के पार जाकर चमत्कार कर सकते हैं।
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