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India News (इंडिया न्यूज), UP Politics: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल के बीच शुक्रवार (16 अगस्त) को 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले ने योगी सरकार को विपक्षी दलों के निशाने पर ला दिया है। वहीं इस मुद्दे पर सीएम योगी अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं। दरअसल, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से लेकर एनडीए की सहयोगी अपना दल की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी इस मुद्दे पर विपक्ष के सुर में सुर मिलाती नजर आई हैं। बता दें कि, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2019 में हुई 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती के लिए चयनित अभ्यर्थियों की नए सिरे से सूची जारी करने का आदेश दिया है। जिसे राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं सपा, बसपा और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस फैसले का स्वागत किया है।
दरअसल, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी शिक्षकों की भर्ती के मामले में विपक्ष के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कि शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है।
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शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फ़ैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं।
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) August 17, 2024
यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका मैं तहेदिल से स्वागत करता हूं। वहीं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए लिखा कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत है। खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई।
69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत है। खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई।
— Anupriya Patel (@AnupriyaSPatel) August 16, 2024
बता दें कि 69000 शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि, 69000 शिक्षक भर्ती भी आख़िरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी माँग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियाँ संभव हो सकें और प्रदेश में भाजपा काल मे बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके।
69000 शिक्षक भर्ती भी आख़िरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी माँग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियाँ संभव हो सकें और प्रदेश में भाजपा काल मे बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके। हम नयी सूची…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 16, 2024
हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हक़मारी या नाइंसाफ़ी न हो। ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएँगे। उन्होंने आगे लिखा कि ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएँ।
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बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने इस मुद्दे को लेकर एक्स पर दो ट्वीट किए। उन्होंने लिखा कि यूपी में सन 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यार्थियों की चयन सूची को रद्द करके तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षण वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो।
2. वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक आदि के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है। अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे।
— Mayawati (@Mayawati) August 17, 2024
उन्होंने आगे कहा कि वैसे भी सरकारी नौकरियों की भर्तियों में पेपर लीक आदि के मामले में यूपी सरकार का रिकार्ड भी पाक-साफ नहीं होने पर यह काफी चर्चाओं में रहा है। अब सहायक शिक्षकों की सही बहाली नहीं होने से शिक्षा व्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ना स्वाभाविक। सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे।
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