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India News (इंडिया न्यूज़), Chinese Ambassador Meets JIB Leader: बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद भारत की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। इस देश में लगातार भारत विरोधी ताकतें अपना सिर उठा रही हैं। ऐसे में एक और ऐसी खबर सामने आई है। जो भारत को चिंतित कर सकती है। दरअसल सोमवार को चीनी राजदूत याओ वेन ने जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश से मुलाकात की। चीनी राजदूत ढाका के मोघबाजार स्थित जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश (जेआईबी) के दफ्तर पहुंचे थे और इस पार्टी की तारीफ की। उन्होंने आगे कहा कि जमात-ए-इस्लामी एक सुव्यवस्थित पार्टी है।
भारत विरोधी रुख रखने वाली जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामिक पार्टी है और शेख हसीना सरकार ने इस पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पार्टी से प्रतिबंध हटा लिया है और कहा है कि इसके आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला है।
जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश ने 1971 में बांग्लादेश की आजादी का विरोध किया था और मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना का समर्थन किया था। जिससे इसकी प्रतिष्ठा पर गहरा दाग लगा। मुक्ति संग्राम के दौरान पार्टी ने अल-बद्र और रजाकारों जैसे अर्धसैनिक बलों के अत्याचारों का समर्थन किया था। बांग्लादेश सरकार ने 2000 के दशक में युद्ध अपराध के मुकदमे शुरू किए थे। जिसमें इसके कई नेताओं को दोषी ठहराया गया और उन्हें फांसी की सजा दी गई। बांग्लादेश की आजादी के बाद JIB पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।
ये पार्टी शरिया कानून द्वारा शासित इस्लामिक देश बनाने की वकालत करती रही है। इस पर चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देने और आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने का भी आरोप लगता रहा है। शेख हसीना सरकार के पतन के बाद पार्टी को मिली मजबूती क्षेत्र में कट्टरपंथ और अस्थिरता को बल दे सकती है।
Chinese Ambassador to Bangladesh HE Mr. Yao Wen meets Jamaat Ameer
Chinese Ambassador to Bangladesh HE Mr. Yao Wen paid a courtesy call to the Ameer of Bangladesh Jamaat-e-Islami Dr. Shafiqur Rahman at the central office of the organization on 2nd September, Monday. He led a… pic.twitter.com/gyngEL46T4
— Dr. Shafiqur Rahman (@Drsr_Official) September 2, 2024
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शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के साथ चीन के गहरे संबंध थे। लेकिन अब चीन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और जमात-ए-इस्लामी जैसी राजनीतिक पार्टियों के साथ अपनी भागीदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। चीन किसी भी तरह से बांग्लादेश में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, चाहे सत्ता में कोई भी राजनीतिक पार्टी क्यों न हो। यह भारत के लिए चिंता का सबब बन सकता है। जमात-ए-इस्लामी जैसी पार्टी के साथ चीन के बढ़ते संबंध बांग्लादेश के साथ मजबूत और स्थिर संबंध बनाने की भारत की कोशिशों को कमजोर कर सकते हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जमात-ए-इस्लामी पार्टी ऐतिहासिक रूप से बांग्लादेश में भारत के प्रभाव से चिढ़ी हुई है।
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