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India News (इंडिया न्यूज), Tears Flow From Crocodile’s Eyes While Eating: मुगल शासनकाल के दौरान, खेल और मनोरंजन की विभिन्न गतिविधियाँ न केवल आम जनता बल्कि बादशाहों और शाही परिवारों के लिए भी महत्वपूर्ण थीं। इन खेलों से न केवल मनोरंजन होता था, बल्कि वे शारीरिक और मानसिक कौशल को भी निखारने का माध्यम थे। आइए, कुछ प्रमुख खेलों और उनकी विशेषताओं पर नज़र डालते हैं:
यह एक अनोखा खेल था जिसमें मूर्तियों से बने घोड़ों का उपयोग किया जाता था। खेल की प्रकृति और उद्देश्य के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसे शाही मनोरंजन के एक रूप के रूप में देखा जाता था। पाशबंदी में रणनीति और ध्यान की आवश्यकता होती होगी, जैसा कि नाम से प्रतीत होता है।
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कुश्ती शारीरिक शक्ति और कौशल को प्रदर्शित करने वाला एक लोकप्रिय खेल था। मुगल काल में कुश्ती को विशेष रूप से महत्व दिया जाता था, और इसे न केवल मनोरंजन बल्कि शारीरिक प्रशिक्षण का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता था। बादशाहों और अमीरों के बीच कुश्ती प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती थीं, जिसमें वे अपनी ताकत और शौर्य का प्रदर्शन करते थे।
ताश का खेल, जिसे हम आज भी बहुत से लोगों के बीच देख सकते हैं, उस समय भी लोकप्रिय था। इसे शाही दरबार में मनोरंजन के लिए खेला जाता था। ताश के खेल में किस्मत और रणनीति दोनों की आवश्यकता होती है, और यह खेल शाही दरबार के मनोरंजन का एक प्रमुख हिस्सा था।
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चौसर एक बोर्ड गेम था जो रणनीति और धैर्य पर आधारित था। इसे खेलने के लिए बुद्धिमानी और योजना की आवश्यकता होती थी। चौसर का खेल मुगल बादशाहों के बीच काफी लोकप्रिय था, और इसे दरबारी खेल के रूप में देखा जाता था। यह खेल मानसिक क्षमता को निखारने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता था।
तीरंदाजी, यानी तीर चलाने का खेल, मुगल बादशाहों और योद्धाओं के लिए खासा प्रिय था। यह खेल न केवल मनोरंजन बल्कि युद्ध कौशल को विकसित करने का भी साधन था। मुगलों के लिए तीरंदाजी एक महत्वपूर्ण सैन्य कौशल भी था, जिसका इस्तेमाल वे युद्ध में करते थे।
सांपों से खेलना एक खतरनाक और रोमांचक खेल था, जो विशेष रूप से मुगल बादशाहों और शाही दरबार में लोकप्रिय था। इसमें बहादुरी और खतरे का सामना करने की क्षमता की परीक्षा होती थी। सांपों के साथ खेलने का खेल एक साहसिक गतिविधि मानी जाती थी, जो दर्शकों के लिए रोमांचक अनुभव प्रदान करता था।
मुगलकालीन खेल सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं थे, बल्कि उनमें शारीरिक और मानसिक क्षमता को बढ़ाने की क्षमता भी थी। ये खेल न केवल बादशाहों के जीवन में रंग भरते थे, बल्कि दरबारियों और सैनिकों के बीच भी लोकप्रिय थे, जो मुगल साम्राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बने।
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