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India News (इंडिया न्यूज़), Yogi Adityanath: उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक संन्यासी है। और हर कोई जानना चाहता है की कैसे नेता पारिवारिक मोह और आरामदायक जीवन को छोड़कर संन्यासी बन गए। मुख्यमंत्री कार्यालय में दो साल पूरे होने पर संन्यासी से राजनेता बने योगी आदित्यनाथ ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि 1993 में एक सुबह वह अपने गुरु महंत अद्वैतनाथ के संपर्क में आए, जिन्होंने उन्हें आध्यात्मिक मार्ग दिखाया।
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यह पूछे जाने पर कि पारिवारिक मोह और आरामदायक जीवन को छोड़कर वह संन्यासी कैसे बने, इस पर आदित्यनाथ ने कहा, “मेरे जीवन में शुरू से ही आध्यात्म का महत्व रहा है। जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था, तब मैं महंत अद्वैतनाथ जी के संपर्क में आया, उस समय दो चीजें चल रही थीं- एक तो मेरी रुचि आध्यात्म में थी, दूसरा उस समय का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आंदोलन रामजन्मभूमि आंदोलन था, जिसकी मुक्ति यज्ञ समिति के अध्यक्ष महंत अद्वैतनाथ जी महाराज थे। इन दो कारणों से मैं उनके संपर्क में आया और फिर मैं आगे बढ़ता गया और 1993 में मैंने संन्यास लेने का पूर्ण निर्णय ले लिया। 1994 में बसंत पंचमी के दिन मैंने योग की दीक्षा ली।”
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यह पूछे जाने पर कि क्या वह युवाओं के लिए कोई ऐसी पुस्तक सुझाएंगे, जिससे वे कुछ सीख सकें, योगी ने कहा कि मुझे लगता है कि इस देश के युवाओं, खासकर छात्रों को प्रधानमंत्री मोदी की एग्जाम वॉरियर पढ़नी चाहिए।
संन्यास लेने का कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमारे संन्यास का कारण लोक कल्याण, समाज कल्याण है, राजनीति हमारे लिए पेशा नहीं है, हम उत्तर प्रदेश की परंपरागत राजनीति को बदलने आए हैं। आदित्यनाथ ने कहा कि मैं अभी भी संन्यासी हूं, सत्ता में रहते हुए भी हमें सत्ता से कोई मोह नहीं है। हम इस व्यवस्था से अनासक्त भाव से जुड़े हुए हैं। लोक कल्याण और राष्ट्र कल्याण इसके महत्वपूर्ण माध्यम हैं और हम आज भी उसी भाव से काम कर रहे हैं।
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