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मोदी सरकार क्यों लाना चाहती है 'One Nation One Election' कानून? एक साथ चुनाव में क्या हैं चुनौतियां

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : September 19, 2024, 1:49 am IST
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मोदी सरकार क्यों लाना चाहती है 'One Nation One Election' कानून? एक साथ चुनाव में क्या हैं चुनौतियां

One Nation One Election

India News (इंडिया न्यूज़),One Nation One Election: मोदी कैबिनेट ने बुधवार (18 सितंबर) को वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है। जबकि इसके 100 दिन के अंदर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का प्रावधान है। पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को भारत की जरूरत बताया था। मोदी ने कहा था कि हर कुछ महीने में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे हैं। इससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं। अब कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद सरकार नवंबर-दिसंबर में होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन बिल पेश करेगी। सरकार की कोशिश है कि इसे 2029 से लागू किया जाए।

तो आइए समझते हैं कि वन नेशन वन इलेक्शन क्या है? अगर यह कानून बन जाता है तो इसे लागू करना कितना आसान और कितना मुश्किल होगा?

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन?

वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि देशभर में एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कराए जाएं। यानी मतदाता एक ही दिन लोकसभा और विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए वोट डालेंगे।

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वन नेशन वन इलेक्शन लागू होने पर क्या होगा?

  • एक राष्ट्र, एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सरकार को एक बार ही बड़ा कदम उठाना होगा।
  • इसके तहत केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव 2029 के बाद की तारीख तय करेगी।
  • इस तारीख को सभी राज्यों की विधानसभाएं भंग हो जाएंगी।
  • इसके बाद पहले चरण में लोकसभा के कार्यकाल के हिसाब से सभी विधानसभाओं के चुनाव होंगे।
  • इसके 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में नगर निकाय और पंचायत चुनाव होंगे।
  • इन सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची होगी।
  • लोकतंत्र में सरकार गिर भी सकती है। ऐसे में अगर अविश्वास प्रस्ताव के कारण लोकसभा या कोई विधानसभा भंग होती है तो सदन में जितने समय के लिए चुनाव बचे हैं, उतने समय के लिए नए चुनाव कराने का सुझाव दिया गया है।
  • इसके बाद लोकसभा के साथ ही नए चुनाव कराए जाएं।
  • इस कानून को पारित करने के लिए 18 संवैधानिक संशोधन जरूरी होंगे। अधिकांश संशोधनों में राज्यों की मंजूरी जरूरी नहीं है।
  • इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने से पहले देशभर की जनता और विभिन्न नागरिक संगठनों की राय ली जाएगी।

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एक राष्ट्र एक चुनाव पर कोविंद समिति ने का सुझाव?

  • कोविंद समिति ने सुझाव दिया कि सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाना चाहिए।
  • पहले चरण में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं।
  • त्रिशंकु विधानसभा, अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में कार्यकाल के बचे हुए 5 साल के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं।
  • चुनाव आयोग राज्य चुनाव अधिकारियों की सलाह से लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार कर सकता है।
  • कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की अग्रिम योजना बनाने की भी सिफारिश की है।

किन देशों में होते हैं एक साथ चुनाव?

  • कई देशों में पहले से ही इस तरह के एक साथ चुनाव होते हैं। दक्षिण अफ्रीका में हर 5 साल में राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनाव एक साथ होते हैं। स्थानीय निकाय चुनाव दो साल बाद होते हैं।
  • स्वीडन में हर चार साल में राष्ट्रीय, प्रांतीय और स्थानीय चुनाव एक साथ होते हैं।
  • इंग्लैंड में भी फिक्स्ड-टर्म पार्लियामेंट एक्ट, 2011 के तहत चुनावों का एक तय शेड्यूल है।
  • जर्मनी और जापान की बात करें तो यहां पहले पीएम का चयन होता है, फिर बाकी चुनाव होते हैं।
  • इसी तरह इंडोनेशिया में भी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव एक साथ होते हैं।

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