India News (इंडिया न्यूज़), Bir Tawil: दुनिया के कई हिस्सों में ज़मीन के लिए देशों के बीच जंग चल रही है। सबसे बड़ी जंग इस समय फिलिस्तीन और इजराइल के बीच चल रही है, जिसमें हज़ारों लोग मारे जा चुके हैं। लेकिन इजराइल से कुछ ही किलोमीटर दूर ज़मीन का एक ऐसा टुकड़ा है, जिस पर कोई भी देश कब्ज़ा नहीं करना चाहता। दरअसल, हम बात कर रहे हैं बीर ताविल (Bir Tawil) नाम के एक इलाके की, जो मिस्र और सूडान की सीमा के बीच स्थित है। जी हां, इस रेगिस्तानी इलाके पर न तो सूडान और न ही मिस्र अपना दावा करता है।
यह इलाका पिछले 60 सालों से अंतरराष्ट्रीय नेताओं के लिए चुनौती बना हुआ है। सहारा रेगिस्तान के उत्तरपूर्वी इलाके में स्थित 2060 वर्ग किलोमीटर के इस इलाके को खानाबदोशों ने बीर ताविल नाम दिया है, जिसका अरबी में मतलब होता है भरपूर पानी वाला कुआं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ जब पड़ोस में ज़मीन के एक छोटे से हिस्से के लिए इतनी बड़ी जंग चल रही है, तो मिस्र, सूडान या कोई भी दूसरा देश इस खाली ज़मीन पर कब्ज़ा क्यों नहीं करना चाहता? दरअसल, इसके पीछे की वजह ब्रिटेन और 20वीं सदी में उसके द्वारा खींची गई सीमाएं भी हैं। एक समय इस पूरे इलाके पर ब्रिटेन का कब्ज़ा था, 1899 में ब्रिटेन और तत्कालीन सूडान सरकार के बीच हुए सीमा समझौते में एक सीमा रेखा खींची गई थी।
ब्रिटेन के जाने के कुछ समय बाद ही इलाके में समस्याएं पैदा होने लगीं, लेकिन इस इलाके को लेकर विवाद तब और बढ़ गया जब 1902 में मिस्र और सूडान के बीच एक और सीमा समझौता हुआ। इन दो सीमा समझौतों की वजह से बीर ताविल एक ऐसा इलाका बन गया जहां अगर कोई देश दावा करता तो उसे एक बड़े हिस्से (हलाब त्रिभुज) पर अपना अधिकार खोना पड़ता।
बीर ताविल एक सूखाग्रस्त क्षेत्र है, इसलिए यहां की जमीन में न तो खनिज हैं और न ही उपजाऊ जमीन। इस कारण न तो सूडान और न ही मिस्र इस क्षेत्र को अपने देश में शामिल करना चाहते हैं। दोनों देशों ने इस वनस्पति रहित और निर्जन क्षेत्र के विवाद को अनसुलझा छोड़ना ही बेहतर समझा।
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जब दोनों देशों ने इस रेगिस्तानी क्षेत्र के विवाद को अनसुलझा छोड़ने का फैसला किया, तो कई लोगों ने इस पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। 2014 में वर्जीनिया के एक किसान ने बीर ताविल में झंडा गाड़ दिया और खुद को उत्तरी सूडान राज्य का गवर्नर घोषित कर दिया। उसने कहा कि वह चाहता है कि उसकी बेटी राजकुमारी बने। इसके लिए उसने अपना झंडा बनाया और अपनी मुद्रा बनाने की भी कोशिश की। लेकिन उसका दावा खारिज कर दिया गया।
इस घटना के तीन साल बाद 2017 में इंदौर के एक व्यक्ति ने इस जगह को अपना देश घोषित कर दिया और इसका नाम किंगडम ऑफ दीक्षित रख दिया। इन दोनों के अलावा कई अन्य लोगों ने भी इस जगह को अपना देश बनाने की कोशिश की। लेकिन यह सब सिर्फ़ पर्यटन के उद्देश्य से किया गया। सूखे के कारण इस क्षेत्र में किसी भी देश की दिलचस्पी नहीं है।
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