India News (इंडिया न्यूज), Airplane Mode In Flight: जब भी हम जरूरी काम के दौरान या मोबाइल नेटवर्क में समस्या का सामना करते हैं, तो हम अक्सर फोन को फ्लाइट मोड में डाल देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो लोग विमान से यात्रा करते हैं, वे फ्लाइट मोड ऑन करते हैं या नहीं? विमान में फ्लाइट मोड का ऑन होना कितना जरूरी है?
अगर आपके दिमाग में इस तरह के सवाल हैं, तो आज हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे। वर्तमान में हम टेक्नोलॉजी में अत्यधिक प्रगति कर चुके हैं, बावजूद इसके, विमान में अभी भी 60 साल पुरानी रेडियो व्यवस्था ही लागू है। अगर आप विमान से यात्रा कर रहे हैं, तो आपकी सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बंद होनी चाहिए।
इन नियमों का पालन न करने पर सजा का प्रावधान है। कई बार ऐसा देखा गया है कि यात्री इन नियमों का पालन नहीं करते और फोन इस्तेमाल करते रहते हैं। यदि आप केबिन क्रू के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो एयरलाइंस आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती हैं। इस मामले में आपको विमान से उतारा जा सकता है और इसे सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन माना जाएगा। उड़ान के दौरान फोन चलाने पर आपको बीच में विमान रोककर उतारा जा सकता है और पुलिस को सौंपा जा सकता है।
फ्लाइट में फोन चालू रखने से सिग्नल के कारण विमान के संचार प्रणाली पर असर पड़ सकता है। सेल्युलर डिवाइस से रेडियो और इलेक्टोमैग्नेटिक वेव्स उत्पन्न होती हैं, जिससे विमान को सिग्नल पाने में परेशानी हो सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस को बंद रखें और फोन को फ्लाइट मोड में रखें। कई देशों की विमानन एजेंसियां, जैसे भारत में DGCA, यात्रियों को अपने उपकरण फ्लाइट मोड में रखने के लिए निर्देशित करती हैं।
1990 के दशक में एयरलाइंस ने महसूस किया कि मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी विमान के संचार तंत्र को प्रभावित कर सकती है। 1996 में यूएस में पहली बार फ्लाइट मोड ऑन करने के नियम बनाए गए थे।
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