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India News (इंडिया न्यूज), NCPCR Recommends Government To Stop Funds Madrasas: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सिफारिश की है कि मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सभी सरकारी फंडिंग बंद कर देना चाहिए। इसके साथ ही मदरसा बोर्डों को बंद करने का भी सुझाव दिया गया है। आयोग ने इस संबंध में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है। आयोग ने कहा कि मुस्लिम बच्चों को मदरसे मुख्यधारा से जोड़ने में विफल है, इसलिए यह सिफारिश की जा रही है।
आयोग ने इसके साथ ही अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसका नाम है, आस्था के संरक्षक या अधिकारों के उत्पीड़क: बच्चों के संवैधानिक अधिकार बनाम मदरसा। आयोग का कहना है कि मदरसे न तो बच्चों के अधिकारों को लेकर सजग हैं और न ही अच्छी क्वालिटी की शिक्षा दे पा रहे हैं। रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया कि किस तरह मदरसा जैसे धार्मिक शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को संविधान द्वारा दिए गए शिक्षा के उनके मौलिक अधिकार का लाभ नहीं मिल रहा है।
NCPCR ने आरटीई अधिनियम के अनुसार मौलिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए मदरसों से बाहर अन्य स्कूलों में दाखिला दिए जाने की बात कही है। आयोग ने कहा कि कोई भी धार्मिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा की कीमत पर नहीं दी जा सकती है। औपचारिक शिक्षा बच्चों का संविधान के तहत एक मौलिक अधिकार है। वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए के अनुसार निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा सभी बच्चों का मौलिक अधिकार है। संविधान का अनुच्छेद 28 माता पिता या अभिभावक की मंजूरी के बिना धार्मिक शिक्षा लागू करने से रोकता है। इसलिए माता पिता या अभिभावक की मंजूरी के बिना इन मदरसों में पढ़ रहे सभी गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर स्कूलों में एडमिशन दिलाना चाहिए। एक रिपोर्ट के अनुसार देशभर में करीब 14819 गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं। जिसमें से सबसे ज्यादा 9446 बच्चे एमपी में हैं, जबकि राजस्थान में ये आंकड़ा 3103 का है।
आयोग की इस रिपोर्ट को तैयार करने का मकसद ये है कि मदरसे को एक व्यापक रोडमैप बनाने की दिशा में मार्गदर्शन किया जा सके। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि देश के सभी बच्चे सुरक्षित, स्वस्थ वातावरण में बड़े हों। ऐसा करने से वे अधिक समग्र और प्रभावशाली तरीके से देश के निर्माण प्रक्रिया में सार्थक योगदान देने के लिए सशक्त होंगे।
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