India News (इंडिया न्यूज), India Canda Tension: भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ दिनों से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। साथ ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत से नाराज चल रहे हैं। दरअसल, कई आरोप लगाने के बाद दोनों देशों के रिश्ते पटरी से उतर गए हैं। हालांकि, कई जानकारों का मानना है कि ट्रूडो अपने देश में घटती लोकप्रियता की वजह से ऐसा कदम उठा रहे हैं। इस बीच कनाडा के विपक्षी नेता भी लगातार उन्हें घेर रहे हैं।
अब कनाडा के एक विपक्षी नेता ने प्रधानमंत्री ट्रूडो पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का इस्तेमाल दूसरे विवादों से ध्यान भटकाने के लिए करने का आरोप लगाया है। साथ ही सरकार से पिछली प्रशासनिक गलती को सुधारने के लिए खालिस्तानी आतंकी की मरणोपरांत नागरिकता छीनने की मांग की है। इसके अलावा बर्नियर ने कहा कि उसे अपने पहले फर्जी शरण दावे के बाद निर्वासित कर दिया जाना चाहिए था। जैसे कि सैकड़ों हज़ारों फर्जी शरण दावेदार वर्तमान में कनाडा में हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, पीपुल्स पार्टी ऑफ कनाडा के नेता मैक्सिम बर्नियर ने कहा कि खालिस्तानी आतंकवादी, जो पूरे विवाद का केंद्रीय व्यक्ति है। वह एक विदेशी आतंकवादी था, जिसे किसी तरह 2007 में नागरिकता प्रदान की गई थी। बता दें कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) ने 14 अक्टूबर को कहा कि उसने जून 2023 में निज्जर की हत्या में भारतीय उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों की पहचान की है। आरसीएमपी ने यह भी कहा कि उन्हें भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडाई लोगों के खिलाफ उग्र अभियान के सबूत मिले हैं। बर्नियर ने कहा कि अगर सच है, तो आरसीएमपी और लिबरल सरकार द्वारा लगाए गए आरोप कि भारतीय राजनयिकों ने हमारे क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियों में भाग लिया, बहुत गंभीर हैं और उनसे निपटा जाना चाहिए।
कनाडाई सरकार की पोल खोलते हुए बर्नियर ने कहा कि हालांकि, अभी तक हमें कोई सबूत नहीं दिया गया है। साथ ही ट्रूडो स्पष्ट रूप से इस संकट का उपयोग अन्य विवादों से ध्यान हटाने के लिए कर रहे हैं। बर्नियर ने आगे कहा कि निज्जर एक विदेशी आतंकवादी था, जिसने कई बार कनाडा में शरण लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। उन्होंने आगे कहा कि इस मिथक को दूर किया जाना चाहिए कि इस विवाद का मुख्य पात्र, हरदीप सिंह निज्जर, खालिस्तानी आतंकवादी जो पिछले साल मारा गया था, एक कनाडाई था। वह वास्तव में एक विदेशी आतंकवादी था, जिसने 1997 से कई बार कनाडा में शरण लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। उसके दावों को खारिज कर दिया गया, लेकिन फिर भी उसे इस देश में रहने की अनुमति दी गई और किसी तरह 2007 में उसे नागरिकता प्रदान की गई।
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