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India News (इंडिया न्यूज), End of Kaliyuga: हिंदू धर्म के अनुसार युगों का परिवर्तन युगचक्र पर आधारित होता है। चार युगों का वर्णन किया गया है- सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और अंत में कलियुग। प्रत्येक युग के अंत में एक नया युग शुरू होता है और कलियुग के अंत के साथ समय का एक नया चक्र शुरू होता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि हम जिस कलियुग में रह रहे हैं, वह सिर्फ एक कलियुग नहीं है बल्कि इससे पहले कई कलियुग बीत चुके हैं और भविष्य में कई और कलियुग आएंगे। यह सब हमारे धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से लिखा गया है। हमारे धार्मिक ग्रंथ आज के आधुनिक विज्ञान से बहुत आगे हैं जिनमें ब्रह्मांड के रहस्यों का वर्णन किया गया है।
ब्रह्मा जी की आयु 100 वर्ष है, लेकिन ये 100 वर्ष ब्रह्मा जी के समय के अनुसार हैं, हमारे नहीं। ब्रह्मा जी के एक दिन में 14 मन्वंतर होते हैं और हर मन्वंतर में चार युग होते हैं, अर्थात् सत्ययुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग। हमारा कलियुग 4,32,000 वर्षों का है। जब मनुष्य 4 अरब 32 करोड़ वर्ष पूरे कर लेते हैं, तो वह ब्रह्मा जी के लिए सिर्फ एक दिन के बराबर होता है। यदि ब्रह्मा जी की आयु 100 वर्ष मानी जाए, तो हम वर्तमान में उनके 91वें वर्ष के पहले दिन सातवें मन्वंतर के 28वें महायुग में हैं। इसका मतलब है कि अब तक 2447 कलियुग बीत चुके हैं और हम 2448वें कलियुग में रह रहे हैं।
धार्मिक ग्रंथों में लिखी कागभुशुंडि जी की कथा के माध्यम से भी यह जानकारी मिलती है। कागभुशुंडि जी लोहास ऋषि के श्राप के कारण कौवा बन गए थे और उन्होंने राम मंत्र की शक्ति से अपनी मृत्यु की इच्छा को स्थगित कर दिया था। कागभुशुंडि जी ने अपनी जीवन यात्रा में 11 रामायण और 16 महाभारत का वर्णन किया। इसका अर्थ है कि उन्होंने कलयुग के चक्र को कई बार देखा और अनुभव किया है। यह सारी जानकारी बताती है कि युगों का चक्र निरंतर चलता रहता है। जैसे ही 4,32,000 वर्ष पूरे होंगे, कलयुग समाप्त हो जाएगा और सत्ययुग शुरू हो जाएगा। यह चक्र बार-बार घूमता रहता है और जब तक ब्रह्मा जी की मृत्यु नहीं हो जाती और नया मन्वंतर शुरू नहीं हो जाता, तब तक युगों का यह चक्र निरंतर चलता रहेगा।
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