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India News (इंडिया न्यूज), PM Modi & Jinping Meeting: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पेट्रोलिंग पॉइंट्स को लेकर हाल ही में हुए समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात कजान में ब्रिक्स समिट के दौरान हुई। इस बैठक पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। ओवैसी ने प्रधानमंत्री पर चार साल पहले देश को गलवान घाटी की झड़पों के बारे में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया और कहा कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर रखा है।
ओवैसी ने कहा कि गलवान में हुई झड़प के समय से ही वह चीन के अतिक्रमण का मुद्दा उठा रहे थे और अब इस समझौते के बाद यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जब से 2020 में तनाव शुरू हुआ, चीन कई पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर मौजूद रहा है और सरकार की ओर से संसद में इस मुद्दे पर खुलासा किए बिना कोई ठोस जानकारी नहीं मिल रही है।
ओवैसी ने कहा कि जिस समझौते की बात हो रही है, उसके बारे में न तो जनता को कोई जानकारी दी गई है, न ही उसे सार्वजनिक किया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब हमारी सेना उन 25 पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग शुरू करेगी, जहां पिछले चार साल से चीन का नियंत्रण बना हुआ था। साथ ही, उन्होंने चिंता जताई कि अक्टूबर में बर्फबारी के कारण यह पता लगाना मुश्किल होगा कि क्या वास्तव में इन इलाकों में पेट्रोलिंग की जा रही है या नहीं।
ओवैसी ने डोकलाम का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने पहले दावा किया था कि चीन डोकलाम से वापस चला गया है, लेकिन असलियत यह है कि चीन अभी भी वहां मौजूद है। इसी तरह, उन्होंने बफर जोन के मुद्दे पर सवाल उठाया कि क्या हम चीन को बफर जोन बनाने के लिए अपनी पेट्रोलिंग पॉइंट्स से पीछे हटने देंगे।
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ओवैसी ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस समझौते के बाद हमारी सेना, जो पिछले चार साल से लद्दाख में तैनात है, वापस आ जाएगी। उन्होंने सरकार से यह जवाब मांगा कि क्या डी-एस्कलेशन और डीइंडक्शन की प्रक्रिया शुरू होगी, और क्या 50,000 सैनिकों को वापस बुलाया जाएगा।
ओवैसी ने कहा कि वह संसद के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को उठाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले पर चर्चा करने से बच रही है और अब तक की गई 20 राउंड की बातचीत का कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है।
ओवैसी के इन आरोपों ने भारत-चीन समझौते पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर पूरी जानकारी देश के सामने लानी चाहिए और यह स्पष्ट करना चाहिए कि समझौते के बाद क्या कदम उठाए जाएंगे।
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