India News (इंडिया न्यूज),Israel Iran War: सऊदी अरब ने फिलिस्तीन को लेकर इजरायल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सऊदी अरब स्वतंत्र फिलिस्तीन की स्थापना के लिए एक नए ‘अंतरराष्ट्रीय गठबंधन’ की दो दिवसीय बैठक आयोजित कर रहा है, वहीं 11 नवंबर को किंगडम ने रियाद में संयुक्त अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का भी फैसला किया है। यह शिखर सम्मेलन पिछले साल इसी तारीख को रियाद में आयोजित संयुक्त अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन का अनुवर्ती है, और किंग सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के निर्देश पर इसकी घोषणा की गई थी। जिसमें फिलिस्तीनी क्षेत्रों और लेबनान पर चल रहे इजरायली हमलों पर चर्चा की जाएगी। अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन का एजेंडा क्या होगा? एक तरफ सऊदी बुधवार से दो दिवसीय बैठक आयोजित कर रहा है, जिसके जरिए इजरायल पर स्वतंत्र फिलिस्तीन की स्थापना के लिए दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है।
वहीं, करीब 10 दिन बाद होने वाले अगले शिखर सम्मेलन में फिलिस्तीनी क्षेत्रों और लेबनान पर चल रहे इजरायली हमले के साथ-साथ क्षेत्र के ताजा हालात पर भी चर्चा की जाएगी, क्योंकि अब यह संघर्ष गाजा या लेबनान तक सीमित नहीं रह गया है। ईरान के साथ इजरायल के तनाव के बीच इस संघर्ष के पूरे क्षेत्र में फैलने का खतरा है। शिखर सम्मेलन के बारे में जानकारी देते हुए सऊदी प्रेस एजेंसी (एसपीए) ने कहा है कि किंगडम फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ इजरायल के अपराधों और हमलों की निंदा करता है। यह लेबनान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने के इजरायल के प्रयासों के भी खिलाफ है। पिछले शिखर सम्मेलन में क्या हुआ था? पिछले साल रियाद में आयोजित शिखर सम्मेलन में अरब और इस्लामी देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया था।
शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने की थी, जबकि जॉर्डन, मिस्र, कतर, तुर्की, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और फिलिस्तीन के विदेश मंत्रियों को अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के महासचिवों के साथ अंतरराष्ट्रीय लामबंदी शुरू करने का काम सौंपा गया था, ताकि गाजा युद्ध को रोकने के लिए वैश्विक प्रयासों का समन्वय किया जा सके। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय ढांचे के आधार पर व्यापक और स्थायी शांति हासिल करने के लिए एक गंभीर और वास्तविक राजनीतिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। उत्तरी गाजा में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं दरअसल, गाजा में हालात दिन-ब-दिन और भयावह होते जा रहे हैं। गाजा की आधी आबादी फिलहाल उत्तरी गाजा तक ही सीमित है। हमास प्रमुख याह्या सिनवार की मौत के बावजूद इजरायली हमले बंद नहीं हुए हैं, इसके उलट उत्तरी गाजा में इजरायली हमले तेज हो गए हैं। लोगों के पास न तो भोजन और पानी का साधन है और न ही इलाज के लिए पर्याप्त व्यवस्था है। आरोप है कि इजरायली सेना गाजा के लिए राहत सामग्री ले जा रहे ट्रकों को प्रवेश नहीं करने दे रही है, जिससे गाजा के लोगों को युद्ध के साथ-साथ भूख से मौत का खतरा भी सता रहा है।
इस बारे में अमेरिकी विदेश विभाग ने भी चेतावनी दी है कि उत्तरी गाजा के जबालिया में जरूरतमंद लोगों तक मानवीय सहायता नहीं पहुंच रही है। फिलिस्तीनी नागरिक आपातकालीन सेवा (पीसीईएस) के अनुसार, जबालिया, बेत लाहिया और बेत हनुन में करीब एक लाख लोग इलाज और खाद्य आपूर्ति के बिना फंसे हुए हैं।
सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने गाजा में मानवीय स्थिति को विनाशकारी बताया है और उत्तरी गाजा की घेराबंदी के लिए इजरायल की निंदा की है। उन्होंने कहा कि ‘इजराइल फिलिस्तीनी लोगों को उनकी जमीन से बेदखल करने के उद्देश्य से नरसंहार कर रहा है, जिसे सऊदी अरब अस्वीकार करता है।’
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