India News (इंडिया न्यूज), Pew Research: प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक धर्म की वैश्विक स्थिति में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे। वर्तमान में दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले धर्म ईसाई धर्म और इस्लाम हैं, लेकिन अनुमान है कि इस्लाम सबसे तेजी से बढ़ने वाला धर्म होगा और संभवतः ईसाई धर्म के करीब पहुंच सकता है।
विश्व स्तर पर धार्मिक आंकलन और वृद्धि
- इस्लाम: इस्लाम की वृद्धि दर सबसे अधिक रहने की उम्मीद है। 2010 की तुलना में 2050 तक मुस्लिम आबादी में 73 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। 2010 में मुसलमानों की वैश्विक आबादी में हिस्सेदारी 23.2 प्रतिशत थी, जो 2050 तक बढ़कर 29.7 प्रतिशत हो सकती है। इस्लामी जनसंख्या 2050 तक 2.76 अरब से अधिक होने का अनुमान है।
- ईसाई धर्म: ईसाई धर्म भी वृद्धि की ओर रहेगा, लेकिन इस्लाम की तुलना में इसकी वृद्धि दर कम होगी। ईसाई आबादी में अनुमानित 35 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। यह एक अनुमान है कि ईसाई और मुस्लिम जनसंख्या में आपसी अंतर बहुत कम रह सकता है, और यह भी संभव है कि इस्लाम निकट भविष्य में सबसे बड़े धर्म के रूप में उभर सके।
- हिंदू धर्म: हिंदू धर्म की आबादी भी बढ़ेगी, लेकिन इसकी वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम होगी। प्यू रिसर्च का अनुमान है कि हिंदू आबादी 2050 तक 1.38 अरब तक पहुंच सकती है। 2010 की तुलना में हिंदू जनसंख्या में 34 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है, जिससे हिंदुओं की कुल संख्या लगभग 35 करोड़ तक बढ़ने की संभावना है।
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गैर-धार्मिक जनसंख्या का परिदृश्य
एक दिलचस्प पहलू यह है कि प्यू रिसर्च के अनुसार, गैर-धार्मिक लोगों की संख्या में भी बड़ी वृद्धि हो सकती है। 2050 तक, दुनिया की 62 प्रतिशत आबादी ऐसे लोगों की हो सकती है जो किसी भी धर्म को नहीं मानते। इस पर अमेरिकी युवाओं के विचार अलग-अलग हैं:
- 62 प्रतिशत अमेरिकी युवाओं का मानना है कि 2050 तक गैर-धार्मिक लोगों की संख्या सबसे अधिक होगी।
- 15 प्रतिशत ने कहा कि गैर-धार्मिक आबादी घटेगी।
- 22 प्रतिशत का मानना है कि गैर-धार्मिक आबादी में कोई खास बदलाव नहीं आएगा।
- 2 प्रतिशत लोगों ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
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प्यू रिसर्च का डेटा यह संकेत देता है कि धार्मिक जनसंख्या में भारी बदलाव देखने को मिल सकता है। इस्लाम के अनुयायियों की संख्या सबसे तेजी से बढ़ेगी, जबकि गैर-धार्मिक जनसंख्या में भी बड़ी वृद्धि हो सकती है। हालांकि, इन अनुमानों पर वैश्विक घटनाक्रम, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और सांस्कृतिक बदलाव का भी प्रभाव पड़ सकता है।
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