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India News (इंडिया न्यूज), Bappa Rawal: भारतीय इतिहास में कई ऐसे वीर योद्धा हुए हैं जिनके शौर्य और पराक्रम की कहानियाँ आज भी जनमानस में प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक हैं बाप्पा रावल, जो मेवाड़ के राजा बने और जिनके नाम से दुश्मनों के पसीने छूट जाया करते थे। उनकी शक्ति और वीरता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके शासनकाल में 35 मुस्लिम रानियाँ थीं, जो उनके सैन्य अभियानों के दौरान विवाह सूत्र में बंधीं।
बाप्पा रावल का असली नाम कलभोज था, और वे गुहिल (गहलोत) वंश के शासक थे। उन्होंने 8वीं शताब्दी में मेवाड़ की भूमि पर शासन किया और चित्तौड़गढ़ को अपना साम्राज्य स्थापित किया। बाप्पा रावल के बारे में मान्यता है कि उन्होंने मेवाड़ राज्य की रक्षा के लिए कई विदेशी आक्रमणकारियों से संघर्ष किया और उन्हें हराया। वे केवल एक राजा ही नहीं, बल्कि हिंदू धर्म के एक संरक्षक भी माने जाते थे।
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इतिहास में यह उल्लेख मिलता है कि बाप्पा रावल ने अपने शासनकाल में अरब और मध्य एशिया के कई मुस्लिम शासकों को हराया। इन विजयों के बाद उनके साथ संधि या राजनीतिक गठजोड़ के रूप में कई मुस्लिम राजकुमारियों से विवाह हुआ। यह विवाह राजनीतिक रणनीति के अंतर्गत थे, जिनके माध्यम से बाप्पा रावल ने अपने साम्राज्य को सुरक्षित किया और अपना प्रभाव बढ़ाया। हालाँकि, यह भी कहा जाता है कि इन रानियों के साथ बाप्पा ने कभी सामीप्य नहीं रखा और वे जीवनभर धर्म का पालन करते हुए साधक के रूप में रहे।
बाप्पा रावल भगवान शिव के परम भक्त थे और कई धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का विशेष स्थान था। उन्होंने अपने राज्य में मंदिरों का निर्माण कराया और हिंदू संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास किया। मान्यता है कि अपनी अंतिम आयु में उन्होंने राज्य छोड़कर साधु जीवन अपना लिया और हिमालय की ओर तपस्या के लिए चले गए।
बाप्पा रावल का योगदान उनके पराक्रम और धार्मिक आस्था के कारण अद्वितीय माना जाता है। उनकी नीतियों और सैन्य रणनीतियों ने मेवाड़ राज्य को सुदृढ़ किया और इसे विदेशी आक्रमणकारियों से सुरक्षित रखा। उनकी वंश परंपरा ने मेवाड़ में एक ऐसी संस्कृति का विकास किया जो धर्म और वीरता के उच्चतम आदर्शों का प्रतीक है।
उनकी कहानी हमें बताती है कि कैसे एक राजा न केवल अपने साम्राज्य की रक्षा करता है, बल्कि अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं का भी पोषण करता है। बाप्पा रावल आज भी भारतीय इतिहास में एक महान शासक के रूप में स्मरणीय हैं।
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