India News (इंडिया न्यूज), Weird News: नहाते या शावर लेते समय पेशाब करना एक ऐसा विषय है जिसके बारे में लोग बात नहीं कर पाते या बात नहीं करना चाहते, लेकिन यह बहुत आम है। सवाल यह है कि नहाते समय पेशाब करना अच्छा है या बुरा? क्या इसके कोई साइड इफेक्ट हो सकते हैं या यह फायदेमंद है? आइए इससे जुड़ी कुछ रोचक जानकारियों के बारे में बात करते हैं।
10 में से 8 ब्रिटिश नागरिक मानते हैं कि वे नहाते समय पेशाब करते हैं। ऐसा करने वाले लोगों को लगता है कि यह अच्छी बात नहीं है, लेकिन अब डॉक्टरों का कहना है कि इसमें शर्मिंदा होने जैसी कोई बात नहीं है। बल्कि ऐसे लोग दुनिया पर बहुत बड़ा उपकार कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर नहाने के साथ-साथ पेशाब भी किया जाए तो ब्रिटेन हर साल पानी के बिल में 426 मिलियन पाउंड (19 करोड़ लीटर) की बड़ी रकम बचा सकता है।
पानी की आवाज़ हमें पेशाब करने में मदद कर सकती है। पेशाब करने में समस्या वाले पुरुषों ने पाया कि बहते पानी की आवाज़ सुनने से उन्हें मदद मिली। ऐसा इसलिए है क्योंकि पानी शरीर को शांत करता है और पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय करता है। यू.के. में लोगों का मानना है कि नहाते समय पेशाब करना धरती के लिए अच्छा है और इससे पानी की बचत होती है। हालाँकि, भारत में डॉक्टरों और विशेषज्ञों का इस मामले पर क्या कहना है?
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बोन एंड बर्थ क्लिनिक में प्रसूति एवं स्त्री रोग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. गण श्रीनिवास का कहना है कि नियमित रूप से नहाते समय पेशाब करने से मूत्राशय के स्वास्थ्य को कोई बड़ा खतरा नहीं होता है, लेकिन यह व्यवहार संबंधी कंडीशनिंग को प्रभावित कर सकता है।
वहीं, क्लाउडनाइन अस्पताल में एसोसिएट डायरेक्टर प्रसूति एवं स्त्री रोग डॉ. शैली शर्मा का कहना है कि स्वास्थ्य जोखिमों के कारण नियमित रूप से शॉवर में पेशाब करना उचित नहीं है। इससे पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों में अधूरी शिथिलता आ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप मूत्राशय का अधूरा निष्कासन हो सकता है। इससे संक्रमण, मूत्राशय की पथरी और यहां तक कि किडनी की समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
शारीरिक अंतर के कारण, शॉवर में पेशाब करने से पुरुषों और महिलाओं पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। डॉ. श्रीनिवास बताते हैं कि पुरुष खड़े होकर पेशाब करते हैं, जिससे पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों पर असर पड़ने की संभावना कम होती है। वहीं, महिलाओं को लग सकता है कि खड़े होकर पेशाब करने से उनकी पेल्विक मांसपेशियां पूरी तरह सक्रिय नहीं होती हैं, जिससे समय के साथ पेल्विक नियंत्रण कमजोर हो सकता है।
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