India News (इंडिया न्यूज़),Tonk Violence: राजस्थान के टोंक जिले के समरावता गांव में हाल के दिनों में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। यहां 13 नवंबर की रात जो कुछ हुआ, वह गांव के लोग अब तक नहीं भूल पाए हैं। इस घटना के बाद इलाके में विवाद, हिंसा और तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। प्रशासन का मानना है कि हिंसा के पीछे बाहरी लोगों का हाथ है, जबकि स्थानीय ग्रामीण पुलिस की कार्रवाई से नाराज़ हैं।
क्या हुआ था समरावता गांव में?
इस पूरे विवाद की शुरुआत तहसील स्थानांतरण को लेकर हुई। गांववालों की मांग थी कि उनियारा तहसील को उनके लिए बरकरार रखा जाए, क्योंकि पास में स्थित देवली तहसील उनके लिए बहुत दूर पड़ती है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास परिवहन के साधन नहीं हैं, इसलिए देवली तक जाना मुश्किल है। इस मुद्दे पर गांववालों ने चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी भी दी थी।
गांव के लोगों ने मांग की थी कि प्रशासनिक अधिकारी (कलेक्टर या एसपी) मौके पर आकर उनकी समस्या सुनें। लेकिन ऐसा नहीं होने पर स्थिति बिगड़ गई, और इस विवाद में नरेश मीणा का नाम सामने आया। मीणा के कथित रूप से थप्पड़ मारने की घटना और उनकी गिरफ्तारी ने हालात को और उग्र कर दिया।
विजय बैंसला का दौरा और युवती की आपबीती
इस पूरी घटना के बाद, बीजेपी नेता विजय बैंसला समरावता गांव पहुंचे और वहां की स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान, एक युवती पूजा का वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह बैंसला के गले लगकर रोते हुए कहती है, “हमें धमकी मिल रही है कि हमें उठा लिया जाएगा। सारे गांव वाले समस्या में हैं।”
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पूजा ने विजय बैंसला से भावुक अपील की कि गांववालों की मदद की जाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। युवती ने बताया कि प्रशासन की ओर से उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है, और पुलिस की ओर से डराया-धमकाया जा रहा है।विजय बैंसला ने गांव में जाकर ग्रामीणों को आश्वासन दिया, “मैं आ गया हूं, सब कुछ सही कर दूंगा।”
गौरतलब है कि देवली-उनियारा उपचुनाव में विजय बैंसला ने भी टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन बीजेपी ने उन्हें टिकट न देकर राजेंद्र गुर्जर को मैदान में उतारा। इसके बाद बैंसला चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए थे। हालांकि, अब गांव में हालात बिगड़ने के बाद वे सक्रिय होकर लोगों से मिल रहे हैं और प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सोशल मीडिया पर नाराजगी
इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है। लोग राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की आलोचना कर रहे हैं कि संकट की घड़ी में कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टियां सिर्फ चुनावी फायदे के लिए गांवों का दौरा करती हैं, लेकिन वास्तविक मुद्दों पर ध्यान नहीं देतीं।
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