India News (इंडिया न्यूज़), JMI University: जामिया में शनिवार की रात एक मुस्लिम लड़के के पैगम्बर मोहम्मद साहब को लेकर टिप्पणी करने पर बवाल मच गया , जिसके बाद रात में जामिया थाना का घेराव किया गया और उसके खिलाफ करवाई की मांग की गई। दरअसल वीडियो में अरमान नाम का (मुस्लिम) लड़का पैगम्बर मोहम्मद साहब को लेकर विवादित टिप्पणी करता है और बाकायदा वीडियो बनाता है, जिसे बाद में वो सोशल मीडिया पर अपलोड कर देता है। हिंदू धर्म को लेकर कहा कि क्यों हिन्दू धर्म को बुरा कहा जाता है,क्यों उन्हें दुश्मन माना जाता है,सभी धर्मों की इज़्ज़त करनी चाहिए।
दरअसल बीती रात को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दिवाली मनाने से रोकने के मामले को लेकर विवाद हुआ था। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने 22 अक्तूबर को दिवाली मनाने से रोकने, दीयों को तोड़ने, रंगोली बिगाड़ने, हुडदंग मचाने और एक वर्ग के छात्रों को विश्वविद्यालय में दिवाली नहीं मनाने देने के मामले में एफआईआर दर्ज दिया। इस घटना में कुछ छात्रों, छात्र नेताओं, भीम आर्मी के नेताओं और विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को नामजद किया गया है। पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी की प्रक्रिया तेज कर दी है।
घटना के अनुसार, एक वर्ग विशेष के छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने दिवाली की सजावट को नुकसान पहुंचाया और विश्वविद्यालय में दूसरों को दिवाली मनाने से रोका। इस दौरान दीयों को तोड़ना और रंगोली बिगाड़ना जैसी घटनाएं सामने आईं। शिकायतों के आधार पर पुलिस ने इन घटनाओं की जांच शुरू की और प्राथमिकी दर्ज की।
पुलिस ने विभिन्न सीसीटीवी फुटेज की जांच की है ताकि घटना में शामिल लोगों की पहचान की जा सके। प्राथमिकी में नामजद किए गए लोगों में छात्र नेता, भीम आर्मी के सदस्य और कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारी शामिल हैं। पुलिस की ओर से इस मामले की जांच तेजी से आगे बढ़ाई जा रही है और जल्द ही आरोपियों की धरपकड़ की संभावना है।
इसी बीच, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से भी इस मामले में शिकायत दर्ज कराई गई थी। हालांकि, पुलिस ने प्रशासन की शिकायत को खारिज कर दिया। पुलिस के अनुसार, प्रशासन की ओर से की गई शिकायत पर कोई प्राथमिकी दर्ज करने का आधार नहीं बनता था।
यह मामला सामने आने के बाद सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। एक ओर जहां हिंदू संगठनों ने इस घटना की निंदा की है, वहीं कुछ संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा बताते हुए छात्रों का समर्थन किया है। इस घटना ने विश्वविद्यालय परिसर में धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सद्भावना को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन और पुलिस की ओर से इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है ताकि आगे ऐसी घटनाएं न हों और विश्वविद्यालय का माहौल शांतिपूर्ण बना रहे।
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