5 Biggest Fires : उत्तरी गोवा के एक नाइट क्लब में शनिवार देर रात सिलेंडर फटने के बाद आग लगने से 25 लोगों की मौत हो गई. गोवा के उत्तर जिले के अरपोरा गांव में शनिवार (6-7 दिसंबर 2025) के मध्य रात्रि बर्च बाय रोमियो लेन नाम के चर्चित नाइट क्लब में सिलेंबर फटन से अचानक आग लग गई. इस हादसे में कम से कम 25 लोगों की जान चली गई. हालांकि, मृतकों की सही संख्या का इंतजार है यानी अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. इस स्टोरी में हम आपको बताएंगे दुनिया की 5 बड़ी आग.
लंदन आग (1666)
इसे दुनिया की सबसे पुरानी आग में शामिल किया जाता है. ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक, इस आग ने लंदन में 13000 से ज्यादा लकड़ी के घरों को जलाकर राख कर दिया था. इस इतिहास को जिक्र ज्यादातर जगहों पर मिलता है. यह आग द ग्रेट फायर ऑफ लंदन नाम से इतिहास में दर्ज है. कहा जाता है कि वर्तमान लंदन इसी आग की राख से पैदा हुआ था, लेकिन दुखद यह है कि इस आग ने कई लोगों की जान ले ली थी.
बिग बर्न आग (1910)
बिग बर्न आग ने बड़ी तबाही मचाई थी. इसमें लोगों की जान कम गई, लेकिन लकड़ी का बहुत नुकसान हुआ था. ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक, अमेरिका के उत्तरी इडाहो और पश्चिमी मोंटाना में आग लग गई. इसमें “बिग बर्न” आग कहा जाता है. इस आग की वजह से 3,900 किलोमीटर लंबी एक मालगाड़ी को भरने के लिए पर्याप्त लकड़ी जलकर राख हो गई थी. इसी आगजनी से सबक लेते हुए अमेरिका में फेडरल फायर सेफ्टी सिस्टम का निर्माण किया गया था.
ग्रेट मैथेसन (1916)
कनाडा में पिछले 100 सालों के दौरान आग के कई भयानक हादसे हुए हैं. वर्ष 1916 में खूबसूरत देश कनाडा के ग्रेट मैथेसन में भीषण आग लग गई. ग्रेट मैथेसन के जंगल की आग बहुत ही भीषण थी. इस आग ने 200 से अधिक लोगों की जान ले ली. जांच में पाया गया कि ग्रेट मैथेसन में यह भीषण आग कनाडा की रेलवे कंपनियों द्वारा इस्तेमाल किए गए डायनामाइट की चिंगारी की वजह से लगी. इस आग ने 200 लोगों की जान ले ली. इसके विरोध में लोगों ने टेमिस्कैमिंग और उत्तरी ओंटारियो रेलवे की पटरियों पर ताबूत रखकर मुआवजे आदि को लेकर बड़ा प्रदर्शन किया था.
नोट्रे डेम (2019)
वर्ष 2019 में फ्रांस के नोट्रे डेम में भीषण आग लगी. इसमें काफी नुकसान हुआ. यहां तक कि फ्रांस का चर्चित गिरजाघर भी इसमें तबाह हो गया. इस भीषण आग ने पेरिस के करीब-करीब सभी इलाकों की हवा को जहरीला कर दिया था. आग पर बड़ी ही मुश्किल से काबू पाया गया, जबकि इस पर काबू पाने में 700 मिलियन यूरो यानी 767 मिलियन डॉलर खर्च करने पड़े. बताया जाता है कि इस आग की वजह से लोगों को सांस लेने में कई दिनों तक दिक्कत हुई तो कुछ लोगों की जान तक चली गई.
रैहस्टाग (1933)
जर्मनी के रैहस्टाग में लगी आग को बहुत दिनों तक याद रखा गया. इसका जिक्र बड़ी आग में किया जाता है. कहा जाता है कि यह आग नाजियों ने खुद लगाई थी. यह अलग बात है कि तत्कालीन चांसलर एडॉल्फ हिटलर ने इस आग के लिए कम्युनिस्टों को दोषी ठहराया. इस आग में किसी की जान तो नहीं गई, लेकिन इस आग को मानव इतिहास के सबसे बड़े संघर्ष द्वितीय विश्व युद्ध के लिए मंच तैयार किया. ऐसा कहा जाता है कि इसमें 8 करोड़ लोगों की जान गई थी. ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, 27 फरवरी, 1933 को जर्मन संसद (रैहस्टाग) भवन में भीषण लगी थी. कहा जाता है कि कम्युनिस्टों को फंसाने और आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल कर अपनी तानाशाही स्थापित करने के बहाने के रूप में नाज़ी नेता एडोल्फ हिटलर ने इस्तेमाल किया था. इसके बाद यूरोप के हालात बहुत खराब हो गए. इसके बदले के तौर पर मारकाट शुरू हुई.