ABG Shipyard Bank Fraud: एबीजी शिपयार्ड ने बैंक घोटाले में नीरव मोदी और विजय माल्या को पीछे छोड़ा, जानिए कैसे? - India News
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ABG Shipyard Bank Fraud: एबीजी शिपयार्ड ने बैंक घोटाले में नीरव मोदी और विजय माल्या को पीछे छोड़ा, जानिए कैसे?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : February 15, 2022, 4:12 pm IST
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ABG Shipyard Bank Fraud: एबीजी शिपयार्ड ने बैंक घोटाले में नीरव मोदी और विजय माल्या को पीछे छोड़ा, जानिए कैसे?

ABG Shipyard Bank Fraud

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
ABG Shipyard Bank Fraud: केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अब तक के सबसे बड़े बैंक घोटाले मामले में (abg shipyard company owner) एबीजी शिपयार्ड कंपनी, उसके पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल के खिलाफ 28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। (abg shipyard bank fraud)

ABG Shipyard Company: एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड एबीजी समूह की प्रमुख कंपनी है जो जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत में लगी है। (abg shipyard company location) शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित है। चलिए जानते हैं क्यों यह देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला बताया जा रहा है? किस कंपनी ने और कैसे इस घोटाले को अंजाम दिया है?।

भारतीय स्टेट बैंक की शिकायत अनुसार, कंपनी पर बैंक का 2,925 करोड़ रूपये, आईसीआईसीआई बैंक का 7,089 करोड़ रूपये, आईडीबीआई बैंक का 3,634 करोड़ रूपये, बैंक आॅफ बड़ौदा का 1,614 करोड़ रूपये, पंजाब नेशनल बैंक का 1,244 और आईओबी 1,228 करोड़ रुपये का बकाया है। सीबीआई ने कहा कि फंड का इस्तेमाल बैंकों की ओर से जारी किए गए उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया था। ( abg shipyard company share price)

ABG Shipyard Bank Fraud

क्या है एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड? (ABG Shipyard Bank Fraud)

  • 15 मार्च 1985 को गुजरात के सूरत के मगदल्ला में आर्टेरिअल ब्लड गैस (एबीजी) शिपयार्ड कंपनी की शुरू हुई थी। एबीजी शिपयार्ड जहाज बनाने और इसकी मरम्मत करने का काम करती है। 1991 तक एबीजी शिपयार्ड मुनाफे वाली कंपनी रही और देश-विदेश से आर्डर मिलते रहे।
  • 2001 से कंपनी ने 28 बैंकों के कन्सोर्टियम से 22,842 करोड़ रुपए का लोन लिया था। इसके बाद दस सालों तक कंपनी ने 160 से अधिक जहाजों का निर्माण और मरम्मत की। 2013 में इस लोन एकाउंट को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित कर दिया गया।

Nirav Modi and Vijay Mallya

क्यों बताया जा रहा देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला?

देश में अभी तक सबसे बड़ा बैंक घोटाला नीरव मोदी और विजय माल्या की ओर से किया गया था। नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक के साथ करीब 14 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की थी। विजय माल्या ने बैंकों के साथ करीब 9 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की थी। नीरव मोदी और विजय माल्या के बैंक घोटाले को मिलाने पर यह रकम 23 हजार करोड़ रुपये बनती है। एपीजी शिपयार्ड ने 28 बैंकों के साथ 22,842 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है, इसलिए इसे देश का सबसे बड़ा बैंक घोटाला बताया जा रहा है।

बैंक कन्सोर्टियम क्या है?

कन्सोर्टियम फाइनेंस लोन लेने का वह तरीका है जिसमें कोई शख्स या कंपनी दो या उससे ज्यादा बैंकों से एक ही एप्लिकेशन के जरिए बहुत मोटी रकम का कर्ज लेता या लेती है। इस व्यवस्था में ब्याज दर और सर्विस चार्ज को छोड़कर बाकी सभी शर्तें सभी बैंकों के लिए एक जैसी होती हैं। इस व्यवस्था में बैंकों और लोन लेने वाली कंपनी या शख्स के बीच साझा लोन एग्रीमेंट होता है।

ABG Shipyard Bank Fraud

बैंक कन्सोर्टियम से लोन की क्या है नीति?

वैसे तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कन्सोर्टियम फाइनेंस की नीति 30 साल पहले बनाई थी, लेकिन आर्थिक उदारीकरण के बाद 1996 में इसे खत्म कर दिया गया, ताकि बैंकों को ज्यादा छूट मिल सके। मतलब यह कि फिलहाल कन्सोर्टियम फाइनेंस के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है। इसलिए इन दिनों कन्सोर्टियम फाइनेंस की नीति या शर्तें इसमें शामिल बैंक ही तय करते हैं।

कन्सोर्टियम फाइनेंस पर जिम्मेदारी कैसे होती है तय?  (ABG Shipyard Bank Fraud)

  • कन्सोर्टियम फाइनेंस पर कोई नीति नहीं होने के बावजूद केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, यानी सीवीसी और भारत सरकार ने कई सलाह दी हैं। आरबीआई इन सलाहों को सर्कुलर के रूप में जारी करता रहता है। इनके मुताबिक बैंकों को ये नियम मानने चाहिए।
  • किसी भी कंपनी या शख्स को कन्सोर्टियम फाइनेंस की सुविधा देने से पहले बैंकों को उनसे एक डिक्लेरेशन लेना चाहिए, जिसमें कंपनी को बताना होगा कि इससे पहले उसने किस बैंक या नॉन बैंकिंग इंस्टीट्यूट से कितना लोन लिया है। बैंकों को हर तीन महीनों में लोन वाले के एकाउंट की जानकारी दूसरे बैंकों से साझा करनी चाहिए।
  • बैंकों को किसी सीए जैसे किसी प्रोफेशनल से इस बात का सर्टिफिकेट लेना चाहिए कि सभी लोन शर्तों का पालन हो रहा है। इसे ड्यू डिलिजेंस सर्टिफिकेट कहा जाता है। बैंकों को क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड और एक्सपीरियन जैसी क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी (सीआईसी) की क्रेडिट रिपोर्ट का भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए।

कौन सा बैंक कर रहा कन्सोर्टियम की अगुआई?

  • गुजरात की कंपनी एबीजी शिपयार्ड को 28 बैंकों के कन्सोर्टियम ने 22,842 करोड़ रुपए का लोन दिया था। आईसीआईसीआई ने सबसे ज्यादा 7,089 करोड़ रुपए दिए थे। इसलिए इस कन्सोर्टियम की अगुआई आईसीआईसीआई ही कर रहा था।
  • आईसीआईसीआई के बाद सबसे ज्यादा लोन 3,634 करोड़ रुपए आईडीबीआई बैंक ने दिए थे। इसके अलावा एसबीआई ने 2,925 करोड़ रुपए, बैंक आफ बड़ौदा ने 1,614 करोड़ रुपए, पंजाब नेशनल बैंक ने 1,244 करोड़ रुपए और इंडियन ओवरसीज बैंक ने 1,228 करोड़ रुपए दिए थे। बैंकों के साथ ही साथ भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने भी 136 करोड़ रुपए दिए थे। इनके अलावा कई अन्य वित्तीय संस्थाओं ने भी लोन दिया था।

क्यों कहा जा रहा घोटाला, कैसे हुआ खुलासा?

  • एबीजी शिपयार्ड कंपनी को 28 बैंकों के कन्सोर्टियम ने 2001 से लोन देना शुरू किया। इसके बाद 2013 से कंपनी घाटे में जाने लगी। इसने लोन चुकाना बंद कर दिया। नवंबर 2013 में इस लोन एकाउंट को नॉन परफॉर्मिंग एसेट घोषित कर दिया गया। एनपीए एकाउंट उसे कहा जाता है जब बैंक की कमाई बंद हो जाती है। यानी बैंक को मूलधन और ब्याज नहीं मिलता।
  • 2014 तक कंपनी को उबारने की कई कोशिशें की गईं। एसबीआई का कहना है कि इस दौरान एबीजी शिपयार्ड को उबारने और बेचने की काफी कोशिश हुई, लेकिन शिपिंग सेक्टर बहुत बुरे हालात से गुजर रहा था, इसलिए यह कोशिश भी कंपनी को उबारने में मददगार नहीं हो सकी।
  • इसके बाद 2016 में फिर से इसे नवंबर 2013 से ही लोन को एनपीए माना गया। इसके बाद अप्रैल 2018 में लोन देने वाले बैंकों ने अर्नस्ट एंड यंग यानी ईवाई को इसकी फॉरेंसिक आॅडिट की जिम्मेदारी सौंपी। ईवाई दुनिया की चार सबसे बड़ी आडिट कंपनियों में से एक है।
  • ईवाई ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड की ओर से अप्रैल 2012 और जुलाई 2017 के बीच किए ट्रांजैक्शन की फॉरेंसिक आडिट की थी। इसके बाद बैंक देने वाले बैंकों के कन्सोर्टियम को यह रिपोर्ट 2019 में सौंपी गई।
  • इससे पता चला कि एबीजी शिपयार्ड ने लोन के पैसों से फ्रॉड किया है। कंपनी और इससे जुड़े लोगों ने मिलीभगत कर लोन में मिले पैसे का दूसरी जगह इस्तेमाल किया। यानी कर्ज किसी दूसरे मकसद से लिया गया और पैसों का उपयोग किसी दूसरे काम में किया गया।
  • इसके बाद बैंकों के कन्सोर्टियम की ओर से भारतीय स्टेट बैंक ने नवंबर 2019 में एबीजी शिपयार्ड के खिलाफ सीबीआई में पहली शिकायत दर्ज कराई। इस पर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगा था। अगस्त 2020 नई शिकायत दर्ज कराई गई। डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद सीबीआई ने बीते शनिवार (यानि 12 फरवरी 2022) को मामले में एफआरआई दर्ज की।

कौन लोग घोटाले में आरोपी हैं?

  • एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के (abg shipyard company owner name) पूर्व सीएमडी ऋषि कमलेश अग्रवाल और तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथुस्वामी और तीन अन्य निदेशकों अश्विनी कुमार सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवतिया को आरोपी बनाया गया है।
  • सीबीआई की एफआरआई अनुसार फ्रॉड करने वाली दो कंपनियां मुख्य हैं। इनमें एबीजी शिपयार्ड के अलावा एबीजी प्राइवेट लिमिटेड शामिल है। ये दोनों कंपनियां एक ही ग्रुप की हैं। सीबीआई ने बीते शनिवार को इस कंपनी के साथ ही डायरेक्टरों के सूरत, भरूच, मुंबई और पुणे स्थित ठिकानों पर छापे मारे थे। इस दौरान कई अहम दस्तावेज बरामद किए गए हैं।

किन धाराओं में एफआरआई दर्ज है?

सीबीआई की एफआरआई में आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और सरकारी संपत्ति को धोखाधड़ी से हड़पने जैसे गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। आरोप साबित होने पर इस मामले में आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।

आईसीआईसीआई कर रहा था लीड, शिकायत एसबीआई ने क्यों दर्ज कराई?

यही वो सवाल है जो सबसे ज्यादा अखर रहा है। साथ ही इस मामले में आईसीआईसी बैंक की चुप्पी से भी सवाल उठ रहे हैं। गौरतलब है कि आईसीआईसीआई बैंक ने ही वीडियोकॉन समूह को भी 1,875 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था। इस लोन को भी मंजूरी देने में कथित अनियमितता और भ्रष्टाचार का आरोप लगा था।

ABG Shipyard Bank Fraud

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