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इंडिया न्यूज़, भोपाल
Bio-CNG Plant Setup In Indore : मध्यप्रदेश सरकार ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा “वेस्ट तो वेल्थ” पहल के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया और जीरो-वेस्ट और सर्कुलर इकॉनमी के दोहरे उद्देश्यों के ज़रिये इंदौर में एक अत्याधुनिक 550 टन प्रतिदिन क्षमता का बायो-सीएनजी संयंत्र स्थापित किया। प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के करकमलों से वर्चुअली हुआ।(Bio-CNG Plant Setup In Indore) इंदौर के देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड में, मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान, आवास और शहरी मामलों के मंत्री, भारत सरकार, हरदीप सिंह पुरी और अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में गोबर-धन प्लांट का उद्घाटन कार्यक्रम हुआ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा करते हुए कहा कि, “इस गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट के निर्माण में शिवराज जी और उनकी टीम ने काफी तत्परता दिखाई। मध्यप्रदेश सरकार के प्रयासों से ही यह प्लांट इतने कम समय में तैयार हो सका है(Bio-CNG Plant Setup In Indore) जो दूसरों राज्यों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।” वहीं इंदौरवासियों को बायो सीएनजी प्लांट मिलने की बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि, “इंदौर का नाम आते ही आज स्वच्छता याद आती है। इंदौर की जागरूक बहनों ने कूड़े के प्रबंधन को एक अलग मुकाम पर पहुंचा दिया है। इंदौर के लोग कचरे को 6 अलग-अलग हिस्सों में बांटते है जिससे उसके रिसाइकलिंग आसानी से की जा सकती है। इंदौर के लोगों की यही भावना शहर ही नहीं देश की दिशा को भी गति देती है। मैं इंदौर और देशभर के लाखों सफाई कर्मियों को इस कार्यक्रम के माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने गोबर-धन प्लांट से होने वाले फायदे के बारे में बताते हुए कहा कि “यह प्लांट ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी पर्यावरण संबंधी समस्याओं को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। यहां बनने वाली जैविक खाद से हमारी धरती मां को नया जीवन मिलेगा और उसका कायाकल्प होगा। पीएम मोदी ने आगे कहा कि इस यह प्लांट ग्रीन जॉब देगा जिससे सैकड़ों युवाओं को किसी न किसी रूप में रोजगार प्राप्त होगा।(Bio-CNG Plant Setup In Indore) इतना ही नहीं इस प्लांट से किसानों और पशु-पालकों की आमदनी भी बढ़ेगी क्योंकि सीएनजी प्लांट मुख्यरूप से गीले कचरे और गोबर से संचालित होगा।” उन्होंने बताया कि दूसरे शहरों में भी इस तरह के प्लांट लगाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। सरकार के यह सारे प्रयास भारत के क्लाइमेट कमिटमेंट को पूरा करने में मदद करेंगे। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ‘कचरे से कंचन’ बनाने के प्रयासों की जानकारी मिलनी चाहिए।
इस ऐतिहासिक आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए, मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा, “एक सूर्य, एक विश्व और केवल एक ही नरेंद्र मोदी है। वेस्ट टू वेल्थ पैदा करने का पीएम मोदी का विजन ही हमें इस ऐतिहासिक क्षण तक ले आया है। ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरे का लगातार जवाब देने में एमपी आज सबसे आगे है। इस बायो-सीएनजी प्लांट की स्थापना कर इंदौर ने छह प्रकार के कचरे को संपत्ति में बदलने का एक अमूल्य उदाहरण पेश किया है।” उन्होंने यह भी बताया कि यह संयंत्र कैप्टिव सौर ऊर्जा के माध्यम से अपनी कुल बिजली आवश्यकता का 20% पूरा करेगा, और सालाना 1,30,000 टन CO2 को कम करने में सक्षम होगा। इसके अलावा उन्होंने राज्य सरकार द्वारा राज्यव्यापी जन जागरूकता अभियान चलाकर ऊर्जा संरक्षण के लिए उठाए जा रहे कई कदमों की भी जानकारी दी।
मुख्यमंत्री चौहान ने यह भी कहा कि, “मैं 19 फरवरी 2021 से हर दिन एक पौधा लगाकर पर्यावरण के संरक्षण के लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास कर रहा हूं। पिछले साल हमने अंकुर अभियान शुरू किया था, जिसके तहत छह लाख से अधिक नागरिकों ने हर रोज़ एक पौधा लगाया है।” मुख्यमंत्री चौहान ने राज्य के प्रत्येक नागरिक का आह्वान करते हुए कहा कि हम पीएम मोदी के आत्मानिर्भर भारत के निर्माण के लिए एक आत्मानिर्भर मध्यप्रदेश बनाने के अपने सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
इंदौर नगर निगम (आईएमसी) द्वारा इंडो एनवायरो इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस लिमिटेड (आईईआईएसएल) के साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत देवगुराड़िया, इंदौर में 15 एकड़ के ट्रेंचिंग ग्राउंड में ठोस कचरे के कार्बनिक अंश जो कि शहर में उत्पन्न फीडस्टॉक (गीला कचरा) के रूप में मिलता है, का उपयोग करके ये संयंत्र स्थापित किया गया है। इंदौर शहर स्रोत पर ठोस कचरे का 100% पृथक्करण सुनिश्चित करता है, जिससे गीले कचरे में 1% से कम अशुद्धियाँ होती हैं। इसलिए, इंदौर में गीले कचरे की गुणवत्ता दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक है।
बायो-सीएनजी संयंत्र से कम्प्रेस्ड बायो-गैस (सीएनजी) के प्रति दिन 17 से 18 मेट्रिक टन (एमटीडी) का उत्पादन होने का अनुमान है। इसके साथ ही इसमें से उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद 100 मेट्रिक टन प्रति दिन का भी उत्पादन होगा। कुल मिलाकर, संयंत्र 550 टन कचरे से मासिक रूप से 19,000 किलोग्राम बायो-सीएनजी (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) का उत्पादन करेगा। यह सीएनजी फलों, सब्जियों, खराब भोजन, हरी पत्तियों और खराब फूलों से तैयार की जाएगी। इससे कम-से-कम शहर में 400 सिटी बसों को चलाने के लिए ईंधन मिलेगा।
उत्पादन के पहले चरण में चालू माह से 55 सीएनजी बसों को शहर में चलने के लिए ईंधन उपलब्ध कराया जाएगा। निजी भागीदार, इंडो एनवायरो इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस लिमिटेड (आईईआईएसएल) ने परियोजना के लिए 100% पूंजी निवेश किया है और (छह लाख से अधिक नागरिकों ने हर रोज़ एक पौधा लगाया20 वर्षों की पूरी रियायत अवधि के लिए संचालन और रखरखाव लागत भी वहन करेगा। अत्याधुनिक प्लांट जीरो लैंडफिल मॉडल पर आधारित है, जो जीरो रिजेक्ट पैदा करता है।
पीपीपी मॉडल का लाभ उठाते हुए इंदौर नगर निगम को आईईआईएसएल की ओर से सालाना 2.52 करोड़ की रॉयल्टी भी मिलेगी। इसके अलावा, आईएमसी संयंत्र में उत्पादित बायो-सीएनजी की न्यूनतम 50% पर खरीदेगा, जो सिटी बसों को चलाने के लिए सीएनजी के मौजूदा बाजार मूल्य से कम है। अत्याधुनिक बायो-सीएनजी संयंत्र देश में गीले नगरपालिका कचरे के प्रसंस्करण के लिए सबसे बड़े संयंत्रों में से एक है, और तकनीकी प्रगति के कारण इसे ‘लाइटहाउस प्लांट’ कहा जाता है।
प्लांट की प्री-ट्रीटमेंट यूनिट पूरी तरह से स्वचालित है, यह डाइजेस्टर चलाने के लिए बायो-स्लरी फीड तैयार करने के लिए सेपरेशन हैमर मिल तकनीक का उपयोग करती है। अनएरोबिक डाइजेस्टर, एलीगेटर्स साथ लगे होते हैं और कॉन्टिनियस स्टर्ड टैंक रिएक्टर (सीएसटीआर) के सिद्धांत पर काम करते हैं। कच्चे बायोगैस से बायो-सीएनजी ईंधन की उच्च गुणवत्ता की वसूली सुनिश्चित करने के लिए वैक्यूम प्रेशर स्विंग एडसोर्पशन (वीपीएसए) तकनीक का उपयोग किया गया है। संयंत्र अपनी कुल बिजली आवश्यकता का 20% कैप्टिव सौर ऊर्जा के माध्यम से पूरा करेगा, और सालाना 1,30,000 टन CO2 को कम करने में सक्षम होगा।
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