India News (इंडिया न्यूज़), Layoffs: कोरोना (Covid -19) ने कई जिंदगीया तबाह कर दी। कई लोगों की नौकरी चली गई। लोग सड़क पर आ गएं। इसका असर कोरोना खत्म होने के बाद भी दिखा। जिन लोगों को कोविड के दौरान नौकरी मिली उन्हे कोरोना खत्म होते हैं नौकरी से हाथ धोना पड़ा। हम बात कर रहे हैं टेक कंपनियों की।
कोविड के दौरान टेक कंपनियों ने अंधाधुंध भर्तियां की थी। इस बात को खुद मेटा के सह-संस्थापक और सीईओ मार्क जुकरबर्ग (Meta co-founder and CEO Mark Zuckerberg) ने भी माना।
टेक कंपनियों को घाटा
टेक कंपनियों को हायरिंग का ये फैसला ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं हुआ। नतीजतन कंपनियां घाटे में जाने लगीं। कोरोना वायरस कम होते ही टेक कंपनियों (Tech Companies) के हाथ-पांव फूल गए।
उनकी योजना पूरी फेल हो गई। कंपनी को लग रहा था कि लोग घरों में कैद हैं और उन्हें किसी भी काम के लिए टेक की जरूरत बहुत लंबे समय तक पड़ेगी। परिणाम स्वरूप कंपनियों का रेवेन्यू घट गया और खर्च बढ़ता चला गया। जिसके बाद शुरू हो गया छंटनी का खेल।
छटनी का दौर
जानकारी के अनुसार टेक कंपनियां में छटनी का दौर 2022 से शुरू हुआ जो अभी भी जारी है। एक रिपोर्ट की मानें तो 2022 में पूरी दुनिया में टेक कंपनियों में काम कर रहे लाखों कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। लोगों को लग रहा था कि अब छटनी का ये तूफान थम जाएगा, लेकिन ये तो बहुत बड़ी आंधी आने का संकेत था।
एक ताजा रिपोर्ट में किए गए दावे पर नजर डालें तो 2023 में अब तक टेक कंपनियां 2,26,000 लोगों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। ये भी देख लें कि यह साल अभी खत्म भी नहीं हुआ है।
जनवरी में मचा हाहाकार
साल 2023 की शुरुआत ही टेक कर्मचारियों के लिए किसी काल से कम नहीं साबित हुई। आपको बता दें कि
केवल जनवरी में माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), अमेजन (Amazon), मेटा(Meta) और गूगल (Google) सरीखी कंपनियों समेत अन्य फर्म्स ने लगभग 75,912 लोगों को झटका दिया। वहीं फरवरी माह में भी लगभग 40,000 लोगों की छंटनी की गई।
छटनी की वजह
टेक कंपनियों द्वारा छंटनी करने के प्रमुख कारण इस तरह हैं;
- अनिश्चित वैश्विक परिस्थिति
- बढ़ती मंदी
- आपूर्ति श्रृंखला में लगातार जारी परेशानियां
- कमाई का घटनाजानकारी के लिए आपको बता दें कि इन छटंनी में सबसे बड़ा हाथ गूगल, मेटा जैसी बड़ी कंपनियों का रहा।
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