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Bhopal News: मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था फिसड्डी, शिक्षा विभाग फेल या बजट का संकट

Chetan Seth • LAST UPDATED : October 7, 2023, 1:47 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Bhopal News: मध्य प्रदेश में हर साल स्कूल शिक्षा विभाग की पहल के बाद भी शाला त्यागी या अप्रवेशित बच्चों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। विभाग हर साल इन बच्चों की खोज कर दाखिला स्कूलों में कराता है, लेकिन बच्चों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब इस सत्र में भी स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के स्कूल से बाहर के बच्चों को चिह्नित किया गया है। इसमें 18 हजार 331 ऐसे बच्चे पाए गए, जो किसी ना किसी कारणों से स्कूल से दूर हैं। इसमें 10 हजार 178 लड़के और 8 हजार 153 लड़कियां शामिल हैं।

सभी जिले के कलेक्टर्स को जारी किए हैं निर्देश 

पिछले साल भी 12 हजार बच्चे चिह्नित किए गए थे। अब विभाग ने सभी जिले के कलेक्टर्स को निर्देश जारी किए हैं कि 15 सितंबर तक इन बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाए। विभाग इन बच्चों को शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए गृह संपर्क अभियान चलाया, लेकिन वह भी फेल रहा। इन बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाकर विशेष प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से सीखने की क्षमता को दूर करने करने का प्रयास किया जाएगा।

प्रदेश के 17 ऐसे जिले हैं, जहां एक भी शाला त्यागी बच्चा नहीं है। इसमें भोपाल, उमरिया, टीकमगढ़, सीधी, शहडोल, रीवा, पन्ना, मंदसौर, नर्मदापुरम, हरदा, देवास, दमोह, भिंड, अशोकनगर, अनुपपूर आदि शामिल हैं। इन जिलों में विभाग की ओर से विशेष प्रशिक्षण केंद्र भी नहीं लगाया जाएगा। हालांकि, विभागीय अधिकारियों का मानना है कि शाला त्यागी और अप्रवेशित बच्चों की संख्या 50 हजार के करीब है। सभी की मैपिंग चल रही है। वहीं सबसे ज्यादा बड़वानी, बुरहानपुर, खंडवा व शिवपुरी में सबसे अधिक शाला त्यागी बच्चे हैं।

पिछले तीन महीनें से नहीं आया है छात्रावास का बजट 

वही, भोपाल अयोध्या बायपास के रजत नगर स्थित अनुसूचित जाति महाविद्यालय के छात्रावास के छात्र भूखे हैं। छात्रों ने कहा कि खाना नहीं मिलने से हो रही वीकनेस की समस्या और वो पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। हॉस्टल में कई ऐसे छात्र है जो सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे हैं। उनकी सीएम हेल्पलाइन में शिकायत के बावजूद छात्रों को भोजन नहीं मिल रहा है। इस छात्रावास में पिछले तीन महीनें से छात्रावास का बजट नहीं आया है। इसलिए छात्र दो वक्त के भजन के लिए अभी तरस रहे हैं।

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