इंडिया न्यूज़, Bihar News: हिंदू धर्म के अनुसार, वेसे तो अब शादी के दिन नही है। पंरतु औरंगाबाद के अल्पा गांव में सोमवार एवं मंगलवार की रात को महिलाएं लोकगीतो गा रही थी और नाच रही थी। रात के समय बैंड बाजो के साथ बारात को लाया जा रहा था। जिसमें मेंढ़क को दूल्हा और मेंढ़की को दूल्हन बनाया हुआ था। यह परमपरा बिहार के औरंगाबाद में वर्षा के लिए मेंढक-मेंढकी की शादी की जाती है।

सैंकड़ों की संख्या में गांव वाले हुए इकट्ठा

गांव वालो ने जैसे ही मेंढक और मेंढकी की शादी के लिए मंडप में बैठाया और आसमान में बादल घने होने लगे जिसके बाद गांव वालो के चेहरे पर खुशी का महोल बन गया। जिससे उनका ये विश्वास बन गया है की इनकी शादी से बारिश होती है।

मेंढ़क की शादी कराने से वर्षा की मान्यता

जानकारी के अनुसार, बिहार के औरंगाबाद के लोगो का कहना है की गांव में बारिश के लिए सभी गांव वाले परमपरा के अनुसार मेंढ़क की शादी बड़ी धूमधाम से करते है। जिसके बाद गांव मे बारिश होने लगती है। यह रोचक कहानी अहियापुर गांव की है। जहां बारिश न होने पर इस प्रकार की रस्म को आजमाया जाता है। और लोगो की माने तो ये तरीका कामगार भी साबित होता है।

विदाई के समय झमाझम वर्षा होने लगी

औरंगाबाद के गांव में कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है। जहां मंगलवार की रात कुछ ऐसा ही हुआ। जिस वक्त गांव में यह रस्में होने लगी, तो आसमान में काले बादलों ने डेरा डाल दिया। जिसके बाद गांव में ढोल नगाड़ो के साथ बारत को विदाई दी गई। इसके थोड़े समय के अंदर ही आसमान से झमाझम वर्षा होने लगी। अब गांव वालो का विश्वास इस बात से बना हुआ है। क्योंकि उन्होंने इसे अपनी आँखों से देख लिया इसलिए वे इस बात पर विश्वास करने लगे है। इससे पहले भी इस गांव की परंपरा है जिससे बारिश होती है।