India News Bihar(इंडिया न्यूज़), Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इस दौरान जमीन के पुराने दस्तावेज और रिकॉर्ड की जरूरत पड़ सकती है। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब आपके पुराने दस्तावेज या तो घर पर उपलब्ध नहीं होते या कहीं खो जाते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति में घबराने की जरूरत नहीं है। सरकार ने इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कुछ उपाय किए हैं ताकि जमीन मालिकों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
जमीन सर्वे के लिए जिन दस्तावेजों की जरूरत पड़ सकती है उनमें जमीन के दस्तावेज, लगान रसीद, दादा का मृत्यु प्रमाण पत्र, वंशावली और आधार कार्ड शामिल हैं। आपके पास कुछ ऐसे दस्तावेज होने चाहिए जो इस प्रक्रिया में काम आ सकें। अगर आपके पास पुश्तैनी जमीन है और उसकी जमाबंदी और खतियान आपके दादा-परदादा के नाम पर है तो सर्वे के लिए वंशावली की जरूरत पड़ेगी। लेकिन यह बनेगा कैसे? क्या इसके लिए किसी दस्तावेज की जरूरत पड़ेगी? आइए यहां विस्तार से जानते हैं!
वंशावली के लिए आपको किसी सरकारी दफ्तर में जाने की जरूरत नहीं है। अगर आप जमीन के हकदार हैं तो आप खुद ही वंशावली तैयार कर जमा कर सकते हैं। इसमें खतियान में दर्ज नाम से लेकर अगली पीढ़ी तक के लोगों का नाम होगा। यह वंशावली संबंधित पंचायत के सरपंच द्वारा तैयार कर प्रमाणित की जाएगी, ताकि सत्यापन के बाद कागजी कार्रवाई आगे बढ़ सके।
जमीन सर्वे के लिए वंशावली में पूर्वजों की मृत्यु से संबंधित प्रमाण पत्र जमा करने की जरुरत नहीं है। हालांकि, वंशावली तैयार करते समय पूर्वजों की मृत्यु का उल्लेख करना होगा। यह तब भी मान्य होगा जब यह ग्राम प्रधान या सरपंच द्वारा लिखा गया हो। स्वघोषित वंशावली के लिए फॉर्म जमा करते समय, यदि जमीन पूर्वजों के नाम पर है, तो केवल उनकी मृत्यु से संबंधित जानकारी देनी होगी।
अगर मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध है तो जिसके नाम पर जमीन रजिस्ट्री हुई है उसका नाम वंशावली में तारीख के साथ दर्ज होना चाहिए। अगर मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है तो वर्ष का उल्लेख होना चाहिए। ध्यान रहे कि इस वंशावली में बेटी और बहन का भी उल्लेख होना चाहिए। नियमानुसार उन्हें भी अधिकार पाने का अधिकार है। कोर्ट ने भी इस पर सहमति जताई है। अगर बेटी या बहन भाग नहीं लेना चाहती है तो लिखित में सहमति देना अनिवार्य है। ऐसा व्यावहारिक पहलू यह है कि वंशावली में बेटी और बहन का उल्लेख नहीं है।
फिलहाल पंचायतों में कैंप लगाकर ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है कि वे भूमि सर्वेक्षण के लिए अपने दस्तावेज तैयार रखें। यह सर्वेक्षण पुराने भू-अभिलेखों के आधार पर किया जा रहा है और जिस भूमि पर कब्जा है, उसकी भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। अगर किसी तरह की विसंगति पाई जाती है तो उसे ठीक किया जाएगा।
इस प्रक्रिया में सरपंच की अहम भूमिका होती है, जो न केवल वंशावली प्रमाणित करेंगे बल्कि ग्रामीणों को सही दस्तावेज तैयार करने के लिए मार्गदर्शन भी करेंगे। इसलिए ग्रामीणों को इस अवसर का लाभ उठाकर अपने दस्तावेज दुरुस्त कर लेने चाहिए ताकि भविष्य में उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
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