India News (इंडिया न्यूज़), Bihar News : बिहार में राजपूत समाज के बड़े नेता आनंद मोहन इन दोनों इंडिया गठबंधन के लिए राजस्थान में चुनाव प्रचार में जुटे हैं। लेकिन बिहार की सियासी गलियारे में आनंद मोहन का जेडीयू में जाने की चर्चा तेज है। इस बात से बल मिला है। आनंद मोहन के बेटे और आरजेडी के विधायक चेतन आनंद के इस बयान से” जिस भी पार्टी में है उससे सम्मान की अपेक्षा रखते हैं
आनंद मोहन एक बार फिर सुर्खियों में
“यानी आनंद मोहन के परिवार को अगर उचित सम्मान नहीं मिल रहा, तो कोई और कदम उठाने की चर्चा स्वाभाविक हैं। बिहार में करीबन साढ़े तीन परसेंट की आबादी राजपूत की है। बिहार के कई ऐसे जिले हैं, जहां निर्णायक स्थिति में इस जाति का वोट होता है। वैसे आरजेडी नहीं चाहेगी कि राजपूतों को नाराज कर कोई जोखिम नही उठाना चाहती हैं। आरजेडी छोड़ने के अटकलों के बीच बिहार की सियासत में आनंद मोहन एक बार फिर सुर्खियों में है।
आनंद मोहन व आरजेडी के बीच खाई चौड़ी
ठाकुर का कुआं विवाद के बाद आनंद मोहन और आरजेडी के बीच खाई चौड़ी हो चुकी है। आनंद मोहन और लवली आनंद जल्द ही आरजेडी छोड़ने वाले हैं। माना जा रहा है कि पूर्व सांसद और बिहार में ठाकुरों के नेता माने जाने वाले आनंद मोहन आरजेडी से किनारा करने के बाद जदयू में शिफ्ट होने वाले हैं। आनंद मोहन के करीबी यह भी कह रहे हैं की अपने छोटे बेटे के साथ जल्द वे जेडीयू में शामिल होंगे।
आनंद मोहन सम्मान से समझौता नहीं
अभी हाल ही में नीतीश कुमार और आनंद मोहन के बीच लंबी बातचीत भी हुई ।हालांकि आनंद के बड़े बेटे फिलहाल आरजेडी में ही रहेगें ।क्योंकि आरजेडी छोड़ने पर उनकी सदस्यता चली जाएगी। आनंद मोहन कई बार कह चुके हैं, कि वह सम्मान से समझौता नहीं करते । वैसे आनंद मोहन पर आरजेडी का बड़ा उपकार है। आरजेडी ने न सिर्फ लवली आनंद को अपना नेता बनाया बल्कि उनके बड़े बेटे को विधायकी का टिकट देकर जीत दिलाने में मदद भी की थी।
बीजेपी के साथ जाने की चर्चाएं भी तेज
लेकिन ठाकुर का कुआं के बाद से स्थिति बदल गई है, और जाति और प्रतिष्ठा की बातें होने लगी है। यह भी कहा जा रहा है कि आरजेडी ने मनोज झा का पक्ष लेकर आनंद मोहन को पार्टी में हैसियत दिखाई। अब आनंद मोहन के बीजेपी के साथ जाने की चर्चाएं भी हो रही है,लेकिन आनंद मोहन इस सवाल पर सीरे से नकार रहे हैं। बताया जाता है कि आनंद मोहन का लालू प्रसाद से दूरियां ठाकुर का गांव के एपिसोड से पहले से है ।
क्योंकि एक बार जब आनंद मोहन अपनी पत्नी लवली आनंद के साथ लालू प्रसाद से मिलना चाहते थे तो लालू प्रसाद मिलने को तैयार नहीं हुए थे। पटना से आनंद मोहन को बैरन वापिस होना पड़ा था। उसके बाद से ही अटकलें लग रही थी कि कहीं कुछ खटपट जरूर है।
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