India News (इंडिया न्यूज), Bihar News: बिहार में नीतीश कुमार के जातिय सर्वेक्षण के जरिए खेले गए सियासी कार्ड ने बीजेपी को संकट में डाल दिया है। इंडिया गठबंधन को एकजुट करने के बाद जातीय जनगणना रिपोर्ट से बीजेपी बौखलाई गई है। एक दिवसीय दौरे पर पटना आए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के क्षेत्रीय पार्टी के खत्म होने के बयान से बीजेपी की परेशानी और बढ़ी है। बिहार में बीजेपी एकला चलो के नारे लगा तो नही सकती लेकिन सोच कुछ ऐसा है, ये जता रही है। 14 महीने बाद एक बार फिर जेपी नड्डा ने पटना में क्षेत्रीय पार्टियों के समाप्त होने की बात कह दी है।
इस दौरान 9 दिनों के बाद ही बिहार के क्षेत्रीय पार्टी जदयू के नेता नीतीश कुमार एनडीए छोड़कर दसवें दिन क्षेत्रीय पार्टी आरजेडी के साथ हो लिए थे। कहा जाता है की ये बात नीतीश कुमार नागवार लगा था। खुद जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा से नीतीश ने कहा था कि नड्डा जी को यह नही बोलनी चाहिए। क्यूंकि हम गठबंधन में हैं। लेकिन जेपी नड्डा हैं कि इस राग को अलापना नही भूलते।
“क्षेत्रीय पार्टियों को समाप्त करना जरूरी है। हम अपनी विचारधारा को लेकर चलते रहे तो सभी क्षेत्रीय पार्टियों खत्म हो जाएगी। बस बीजेपी बची रहेगी। इसको लेकर चर्चाएं शुरू है। नड्डा भूल चुके हैं कि अभी बिहार एनडीए में चार क्षेत्रीय पार्टियां शामिल है। जिनमें एलजेपी के चाचा –भतीजे की पार्टी के अलावा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और जीतन राम मांझी की पार्टी है।
बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करने के बयान पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी तंज कसा। बीजेपी में ही टूट होने की भविष्यवाणी कर दी। तेजस्वी ने प्रति क्रिया देते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वे खुद ही समाप्त हो रहे हैं। जितने भी क्षेत्रीय दल थे वे सब इनसे बिछड़ गए। तमिलनाडू में इनका सबसे बड़ा गठबंधन टूट गया, इन्हें छोड़ दिया। इनके साथ कौन है? ना देश की जनता है, ना क्षेत्रीय दल हैं , ना कोई है।”
दरअसल पिछली बार एनडीए 39 सीटें जीती थी। बिहार में संसद की 40 सीटों में नीतीश कुमार के साथ मिलकर बीजेपी गठबंधन को 40 में से 39 सीटें मिली थी। यानी कि लगभग सौ फीसदी परिणाम। अब बिहार में कथित एनडीए के लिए इस प्रदर्शन को दोहराना टेढ़ी खीर है। बिहार में बीजेपी को लगातार चुनौती मिल रही है। नीतीश कुमार बिहार में भी बीजेपी विरोधी दलों को एकजुट करने में कामयाब है। ऐसे में बीजेपी नेतृत्व का फॉक्स अब बिहार है। लेकिन बीजेपी अध्यक्ष नड्डा के बयान से बीजेपी कार्यकर्ताओं को ऊर्जा मिली है या मौजूदा गठबंधन को कमजोर किया है , यह देखने वाली बात होगी।
वैसे जाति आधारित गणना के बाद बीजेपी सजग है। आगामी कार्यक्रम में 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती धूमधाम से मानने का एलान कर चुकी है। बीजेपी नेताओं को बार बार यह कहना पड़ रहा है कि देश में ओबीसी का चेहरा नरेंद्र मोदी है। बीजेपी ने नोनिया समाज की रेणु देवी को उपमुख्यमंत्री बनाया था। हरि सैनी को नेता प्रतिपक्ष बनाया था। नीतीश और तेजस्वी यादव इस्तीफा देकर किसी अति पिछड़ा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए। यहां तक की बीजेपी विधायक और सांसद मुस्लिमों की बढ़ी हुई आबादी के बाद हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग भी कर रहे हैं।
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