India News (इंडिया न्यूज़), Bihar News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ज़ुबान अमर्यादित, अशोभनीय, अपमानजनक हो गई। सेंसेक्स एजुकेशन पर ज्ञान देते देते सारी हदें पार कर गए। ज़ुबान सिर्फ़ फिसली ही नहीं बल्कि चली, हाथ भी अश्लील तरीक़े से चले, आंखें भी चलीं, होंठ भी चले।
नीतीश की निंदा हुई, सीएम शर्मिंदा हुए, माफ़ी मांगी जो काफ़ी नहीं लगती। हद ये कि बिहार के डिप्टी CM तेजस्वी यादव ने नीतीश के बयान को जायज़ ठहराते हुए सेंसेक्स एजुकेशन से जोड़ दिया। नीतीश जी और तेजस्वी जी, मेरे आपसे 10 बुनियादी सवाल हैं।
- सेंसेक्स एजुकेशन में इतने गंदे शब्द इस्तेमाल होते हैं क्या?
- नीतीश कुमार पर किसी दवा का असर तो नहीं?
- नीतीश कुमार पर उम्र हावी होने लगी है?
- सदन की मर्यादा क्यों नहीं समझ पाए नीतीश?
- नीतीश के शब्दों में ‘केमिकल लोचा’ कैसे हो गया?
- नीतीश का ‘पाठ’ सही लेकिन ‘लैंग्वेज’ गड़बड़ है?
- आबादी नियंत्रण पर ज़ुबान क्यों फिसली?
- स्त्री पुरुष रिश्ते पर इतने अभद्र शब्द क्यों?
- सदन में नीतीश की उंगली का इशारा क्या था?
- सुशासन बाबू आप ऐसे अमर्यादित तो ना थे?
अशोभनीय टिप्पणी की उम्मीद नहीं
नीतीश कुमार की उम्र 72 बरस की हो चली है, दो दशक से ज़्यादा समय तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं। महिलाओं पर ऐसी अशोभनीय टिप्पणी की उम्मीद नीतीश से नहीं थी। पिछले कुछ सालों में नीतीश सरकार ने बिहार में महिलाओं की बेहतरी के लिए बड़े क़दम उठाए हैं। सरकारी नौकरी में महिलाओं को 35 फ़ीसदी आरक्षण दिया, नगर निकाय चुनाव के लिए 50 परसेंट महिला आरक्षण का प्रावधान किया, पढ़ने वाली लड़कियों को आर्थिक सहायता दी वो अलग है।
सुशासन बाबू की ज़ुबान ने किया बेड़ागर्क
लेकिन बिहार विधानसभा में सुशासन बाबू की ज़ुबान ने बेड़ागर्क कर दिया। जब तक माफ़ी मांगते तब तक शब्द ‘मिसगाइडेड मिसाइल’ बन कर बीजेपी की झोली में जा चुके थे। भारतीय जनता पार्टी ने ‘सठिया गए, शर्म करो, उम्र का असर, अंतिम समय’ जैसे अलंकारों से सुशोभित कर डाला। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार की ज़ुबान बिहार में जेडीयू का बड़ा नुक़सान करेगी। I.N.D.I.A. गठबंधन का अगुवा बनने का ख़्वाब पाले नीतीश कुमार के सपनों को पलीता लगना तय है।
ज़ुबान से पैदा होते हैं दुश्मन
ज़ुबान बनाती है, ज़ुबान बिगाड़ती है। ज़ुबान से दोस्त बनते हैं, ज़ुबान से दुश्मन पैदा होते हैं। ज़ुबान इज़्ज़त देती है, ज़ुबान ज़िल्लत की वजह बनती है। मणिशंकर अय्यर की ज़ुबान ने कांग्रेस को असफलता के पाताल में धकेल दिया। उदयनिधि स्टालिन की ज़ुबान ने डीएमके की किरकिरी करा दी। दिग्विजय सिंह की ज़ुबान ने कांग्रेस का बहुत नुक़सान किया।
समाजवाद के पुरोधाओं में से एक
कमाल की चीज़ है ज़ुबान, तीर निकलता है, घातक हो तो ज़हर फैला कर इतिहास बना देता है। भारत की जनता भी कमाल है, बदज़ुबानी का इतिहास नहीं भूलती। नीतीश कुमार जेपी और लोहिया के चेले हैं, समाजवाद के पुरोधाओं में से एक हैं। संघर्ष से बने नीतीश की कहानी गांव की पगडंडियों से निकलती है, कस्बे तक आते आते मुन्ना की मुस्कान बनती है, छात्र जीवन में नेताजी और फिर सियासत के मंत्रीजी और सीएम साहब तक का सफ़र तय करती है।
नीतीश कुमार के बयान पर टीवी में कैसे कैसे शब्द चले, ज़रा इस पर नज़र डालिए-
- नीतीश का ‘सेंसेक्स’ ज्ञान, महिला का अपमान?
- सुशासन का सेंसेक्स’, नीतीश को ले डूबेगा?
- अपमानजनक, अमर्यादित, अशोभनीय, अनर्गल?
- नीतीश जी, ये ‘उंगली’ का इशारा क्या है?
- सदन में बेशर्मी, नीतीश पर ‘उम्र’ हावी ?
- सेंसेक्स’ वाला ज्ञान, बिहार में महाघमासान
- ‘रात की बात’ पर सदन में कैसे टूटी मर्यादा?
- नीतीश जी, इतनी डिटेल में जाना ज़रूरी था?
- जनता के मंदिर में ‘बेटियों’ पर ‘बेशर्म’ बोल?
- बेशर्म बयान, सियासी संग्राम, महिला अपमान?
प्रधानमंत्री पद का सपना संजोए बैठे नीतीश
नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद का सपना संजोए बैठे हैं। ज़ुबान ने इतना नुक़सान कर दिया है कि ‘फ़ेस सेविंग’ नहीं हो पा रही। विधान सभा से लेकर विधान परिषद तक में माफ़ी मांग चुके हैं, पर अंग्रेज़ी में कहें तो HIMALAYAN BLUNDER हो चुका है। मानो नीतीश ख़ुद कह रहे हों।
“मेरी ज़ुबान के मौसम बदलते रहते हैं
मैं आदमी हूं, मेरा ऐतबार मत करना”
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