India News (इंडिया न्यूज), Bihar News: बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2023 का शुभारंभ हो गया है। यह पितृपक्ष मेला 28 सितंबर 14 अक्टूबर तक चलेगा। पितृपक्ष मेला के पहले दिन पटना से सटे पुनपुन में करने का विधान है। वैसे तीर्थयात्री जो पुनपुन नहीं जा पाते हैं वह पहले दिन गया के गोदावरी सरोवर में पिंडदान तर्पण करते हैं। हालांकि गयाजी में मुख्तौर से पितृपक्ष मेला आगाज होने के अगले दिन भिड़ होती हैं।

शुक्रवार को पहले दिन हजारों हजार की संख्या में देवघाट फाल्गुन नदी के किनारे देव घाट पर पिंडदान तर्पण श्रद्धालुओं ने किया। पितृपक्ष मेले के दूसरे दिन गयाजी में खीर से श्राद्ध पिंडदान का कर्मकांड होता है। द्वितीय दिन प्रेतशिला, ब्रह्मकुंड, कागबली, रामशिला,रामकुंड वेदी एल पर पिंडदान किया जाता है।

50 हजार पिंडदान होनें कि उम्मीद

पितृ पक्ष मेला के आगाज होने के अगले दिन फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट में करीब 50 हजार तीर्थ यात्रियों जिस तरह से पिंडदान करने का जनसलाम उमड़ा है उसे देखकर अनुमान लगाया जा रहा है देश के कोने से पिंडदानी पहुंच रहे हैं पिंडदान करने के लिए। इस तरह से उम्मीद है कि 50 हजार पिंडदान हो सकता है। पिंंडदानियों के गया जिला प्रशासन की ओर से विशाल पंडाल बनाया गया हैं।विशाल पंडाल में बैठकर तीर्थ यात्रियों ने पिंडदान का कर्मकांड किया और पितरों के मोक्ष की कामना की है। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पितृपक्ष के कर्मकांड पुरोहित द्वारा कराए जा रहे हैं।

गयाजी है मोक्ष धाम की धरती

हरियाणा के हिसार से पहुंचे पवन कुमार गोयल और बिहार के आरा से आए विमल कुमार सराओगी ने बताया कि वह अपने पितरों के मौत की कामना को लेकर गया जी पिंडदान करने को आए हैं। पवन कुमार गोयल ने बताया कि वह अपने कई पीढियां के मोक्ष की कामना को लेकर यहां पहुंचे हैं। फोटो फ्रेम में करवा कर पिंडदान कर्मकांड के दौरान उसे सामने रखकर मोक्ष की कामना कर रहे हैं। गयाजी मोक्ष धाम की धरती है।

फल्गु नदी के तट देवघाट पर पिंडदान

यहां आकर उन्हें काफी अच्छा लगा और पितरों के लिए मोक्ष की कामना की है। वही विमल कुमार सरावगी ने बताया कि वह सपरिवार यहां पहुंचे हैं और पितरों के लिए मोक्ष की कामना कर रहे हैं। वहीं पुजारी चंदन कुमार पांडे ने बताया कि पितरों के मोक्ष की कामना की धरती गया जी है। यहां आज फल्गु नदी के तट देवघाट पर पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं। फल्गु की अपनी महता है और गया जी पिंडदान के लिए विख्यात है। यहां अलग-अलग वेेदियों पर लोग पिंडदान करते हैं।

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